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गेहूं की फसलों पर मंडराने लगा पीला रतुआ का खतरा, कृषि विभाग ने किसानों को दी यह सलाह
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर जिले के विभिन्न गांवों में गेहूं के पौधों पर पीला रतुआ रोग लग जाने से किसान और कृषि विभाग के अधिकारी परेशान हैं। पीला रतुआ रोग गेहूं की फसल की पत्तियों पर पाउडर या मिट्टी की पीली धारियों के रूप में दिखता है। इसे छुने से यह कपड़ों या उंगलियों पर आ जाता है। रोग तेजी से फैल सकता है और फसल की वृद्धि और उपज को प्रभावित करता है। पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में गेहूं की फसल पीले रतुआ से प्रभावित होती हैं, जो वर्तमान में पक्कीनिया स्ट्राइफोर्मिस नामक कवक रोगज़नक़ के कारण होता है। यह रोग गेहूं की पत्तियों पर पीली धारियों के रूप में दिखाई देता है।
कृषि विभाग की एक टीम ने मंगलवार को नादौन प्रखंड के पीला रतुआ प्रभावित गांवों का दौरा करके गेहूं की फसल का सर्वेक्षण किया। कृषि विभाग के उप निदेशक अतुल डोगरा ने बताया कि इस दौरान अधिकारियों ने बहल, साधवां, लहार कोटलू, सेरा, जसई, खतरोड़, बलदूहक, बड़ा, रंगस, रेल और फास्टे गांवों में किसानों के खेतों का निरीक्षण किया। सर्वेक्षण में बहल, सधवां, लहार कोटलू और सेरा गांव में गेहूं की फसल में पीला रतुआ के लक्षण पाए गए। कुछ जगहों पर ये लक्षण प्रारंभिक अवस्था में हैं। फसल में रोग दो से तीन प्रतिशत तक होता है। गांव बहल और सधवां में बीमारी का प्रसार पांच से सात प्रतिशत पाया गया।
मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले एक-दो सप्ताह में इस रोग के फैलने की आशंका अधिक है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे इस दौरान समय-समय पर अपने खेतों की निगरानी करते रहें और रोग के लक्षण दिखाई देने पर एक लीटर पानी में एक मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल कवकनाशी का घोल बनाकर प्रभावित क्षेत्र में छिड़काव करें।