हिमाचल प्रदेश

हिमाचल में 2 दिन यैलो अलर्ट, जानिए कब तक खराब रहेगा माैसम

Shantanu Roy
28 July 2023 9:10 AM GMT
हिमाचल में 2 दिन यैलो अलर्ट, जानिए कब तक खराब रहेगा माैसम
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शिमला। हिमाचल के कई क्षेत्रों में ऑरैंज अलर्ट के बीच झमाझम बारिश जारी है। स्थिति यह है कि जगह-जगह भूस्खलन के चलते सैंकड़ों सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप्प है। वहीं कई जलापूर्ति योजनाएं व बिजली ट्रांसफार्मर भी बाधित हैं। सोमवार रात को भारी बारिश से हुए भूस्खलन से नैशनल हाईवे-5 वाहनों की आवाजाही के लिए बाधित हो गया। खनेरी में पहाड़ी दरकने से बड़ी मात्रा में मलबा हाईवे पर आ गया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में वीरवार को बारिश का ऑरैंज अलर्ट जारी किया गया था जबकि 28 व 29 जुलाई के लिए यैलो अलर्ट जारी हुआ है। प्रदेश में 2 अगस्त तक मौसम के खराब बने रहने की संभावना है। वहीं प्रदेश के चम्बा, सिरमौर, शिमला, कुल्लू व मंडी जिले के लिए बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है। स्थानीय लोगों व पर्यटकों को नदी-नालों से दूर रहने तथा संबंधित विभागों की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।
8 जुलाई से 27 जुलाई तक प्रदेश में यहां-यहां फटे बादल
9 जुलार्ई को किनौर के साथ लगती स्पीति की पिन वैली में कारा नामक स्थान पर बादल फटा।
15 जुलाई को कुल्लू में बादल फटा। इसमें 2 मकान बहे। इस दौरान लगवैली के गौरुडुगू, फाटी पिछली पटवार में भी बादल फटा, जिसमें 2 मकान व 5 गऊशालाएं बह गईं।
16 जुलाई को रोहड़ू की ग्राम पंचायत जगोठी के बजरेट में बादल फटा और शिकड़ी नदी में बाढ़ आ गई।
17 जुलाई को कुल्लू के कोटा नाला में बादल फटा, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई और 3 घायल हुए।
18 जुलाई को चम्बा के तेलका में बादल फटा, जिसमें सलूणी में 35 मकान व गऊशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं।
20 जुलाई को किन्नौर में बादल फटा। वहीं रोहड़ू में भी बादल फटा, जिससे 34 वाहन मलबे में दब गए।
21 जुलाई को कुल्लू में 4 जगह बादल फटे, जिसमें मणिकर्ण, शाट, करजां और पाशी नाले में बादल फटने से लोग घरों को छोड़ कर चले गए।
22 जुलाई को रोहड़ू में फिर बादल फटा और कोटखाई में भारी भूस्खलन हुआ। रोहड़ू में बादल फटने से 5 लोगों की मलबे में दबकर मौत हो गई।
23 जुलाई को मनाली के शलीन में बादल फटा और घरों में मलबा घुस गया। इस दौरान 4 घरों को भारी नुक्सान हुआ। वहीं सेब के बगीचों को भी भारी नुक्सान हुआ।
24 जुलाई को कुल्लू में फिर बादल फटा। इस दौरान मलाणा में बादल फटा। बादल फटने से मलाणा की जल विद्युत परियोजनाओं में सिल्ट भर गई, जिससे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति भी बाधित रही।
25 जुलाई को कुल्लू के पंचनाला और ब्राह्मगंगा व भरमौर के मछेतर नाले में बादल फटा। बादल फटने से आई बाढ़ में 5 मकान बह गए। वहीं 15 मकान क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं भरमौर में 2 डंपर, एक लोडर और एक जेसीबी क्षतिग्रस्त हो गई।
26 जुलाई को रामपुर में बादल फटा। इस दौरान उपमंडल की ग्राम पंचायत सरपारा में बादल फटने से 4 लोगों के मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं सरपारा झील में पानी की स्तर बढ़ गया।
27 जुलाई भरमौर के मछेतर नाले में फिर बादल फटा। इस एक मकान सहित 2 घराट व कंपनी की मशीनरी बाढ़ में बह गई।
प्रदेश में बादल फटने को लेकर मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल ने कहा कि जिस वर्ष बरसात अधिक होती है, उस वर्ष में बादल अधिक फटते हैं। उन्होंने कहा कि बादल अक्सर ऊंचे पहाड़, नैरो वैली यानी जहां चारों ओर ऊंचे पहाड़ हों, वहां फटते हैं और अधिकतर बादल बारिश बंद होने के बाद फ टते हैं। उन्होंने कहा कि बादल फटने का कारण यह भी है कि अक्सर बारिश के बाद गर्म हवाएं ऊपर की ओर जाती हैं। जिसके साथ बादल भी ऊपर की ओर जाते हैं लेकिन ऊपर तापमान कम होने के कारण पानी से भरे बादल फट जाते हैं। आगामी दिनों में प्रदेश में इस तरह के मामले और भी देखने को मिल सकते हैं। बादल फटना वर्षा की एक्स्ट्रीम फार्म है। इसे मेघ विस्फोट या मूसलधार वर्षा भी कहते हैं। मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में आद्र्रता यानी पानी लेकर चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वे अचानक फट पड़ते हैं। यानि संघनन बहुत तेजी से होता है। इस स्थिति में एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है। इसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। इस दौरान वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है।
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