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ट्री कमेटी की मंजूरी मिल जाएगी या नहीं। पेड़-पौधे नहीं।
शिमला: शहर में हुई तबाही के बाद हर वार्ड से पेड़ों के लिए करीब 800 आवेदन आए थे। जिसमें राज्य सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से पहले प्रशासन ने करीब 250 पेड़ ही काटे पाए थे। ये हुआ राज्य सरकार के इस फैसले पर शहर के लोगों ने नाराजगी व्यक्त की। यहां तक कि बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गजों ने भी राज्य सरकार से मांग की थी कि घर के लिए खतरा बन रहे पेड़ों के टुकड़े लेकर उन्हें काटने वाले के ऑर्डर दिए जाएं। लेकिन राज्य सरकार ने इसे भी स्वीकार नहीं किया. ऐसे में अब अगर किसी को पेड़ काटना है तो उसे ट्री कमेटी से मंजूरी लेना जरूरी है। पहले की तरह लोगों को पेड़ और थनियां काटने के लिए घर का इंतजार करना होगा। शहर के कई वार्डों में पेड़ों की थानियों को लेकर किलेदारों ने भी मांगी थी थारी। इस मुद्दे पर सदन में भी चर्चा हुई. खिलाड़ियों का कहना था कि पत्थर काटने की मशीन धीरे-धीरे दी जाए।
साथ ही बिजली बोर्ड को भी यह छूट दी जानी चाहिए कि जब वे कैंची की तरफ जाएं तो उन्हें कैंची की लंबाई न लें। इस बात पर सदन के सदनों ने मुहर लगाई थी. लेकिन इस मामले को लेकर निगम एवं वन विभाग की ओर से अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शहर के कई वार्डों में पेड़ मकानों के लिए खतरा बने हुए हैं, जिनमें कटर की भी जानकारी दी गई है। लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण इस पेड़ को नहीं हटाया गया और अचानक राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया कि अब कोई भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। ऐसे में खतरनाक बने पेड़ों को काटने के लिए निगम के पास जाने के अलावा समिति के फैसले का भी इंतजार करना होगा। अब ट्री कमेटी की मंजूरी मिल जाएगी या नहीं। पेड़-पौधे नहीं।
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Ritisha Jaiswal
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