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हिमाचल प्रदेश
जिला कांगड़ा की अति दुर्गम घाटी बड़ा भंगाल को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा कब उठने लगी आवाज
Renuka Sahu
17 Sep 2022 4:30 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com
आजादी से 75 साल बीत जाने पर भी जिला कांगड़ा की अति दुर्गम घाटी एवं बैजनाथ उपमंडल की पंचायत बड़ा भंगाल अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा हासिल करने की राह ताक रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजादी से 75 साल बीत जाने पर भी जिला कांगड़ा की अति दुर्गम घाटी एवं बैजनाथ उपमंडल की पंचायत बड़ा भंगाल अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा हासिल करने की राह ताक रही है। जब से बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया है, तब से लेकर आज तक 12 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। पहले चुनाव को छोड़ दिया जाए उसके बाद से आठ बार कांग्रेस, तीन बार भाजपा के नुमाइंदों द्वारा यहां का प्रतिनिधित्व किया गया, मगर आज दिन तक बड़ा भंगाल घाटी में विकट परिस्थितियों में जीवनयापन कर रहे लोगों को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा हासिल करवाने में नाकाम रहे। गौर हो कि बड़ा भंगाल में करीब 650 लोग रहते हैं।
जो जून माह से लेकर अक्तूबर 15 तक रहने के बाद हर वर्ष निचले इलाकों को पलायन कर जाते हैं, क्योंकि 15 अक्तूबर के बाद 18000 फुट की ऊंचाई पर थामसर जोत पर कभी भी बर्फबारी होने का अंदेशा बना रहता है। उससे पहले बड़ा भंगाल में घरों-पशुओं की रखवाली करने के लिए 20 या 30 लोग रहते हैं, बाकी सभी निचले इलाकों में पलायन कर जाते हैं। कुछ महीनों पहले उपमंडल की अति दुर्गम पंचायत बड़ा भंगाल को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र घोषित करने व बड़ा भंगाल में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल प्रधान मनसा राम भंगालिया की अगुवाई में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से शिमला में मिला था। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से भी भेंट की थी। प्रधान मनसा राम ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी कि बड़ा भंगाल अति दुर्गम क्षेत्र हैं। यहां के लोग आज भी सडक़, बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बड़ा भंगाल के लोगों ने गुहार लगाई है कि बड़ा भंगाल से आने जाने वाले लोगों की सुविधा हेतु साल में दो बार मई व अक्तूबर में हेलिकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। वहीं, बड़ा भंगाल के लोग चाहते हैं कि उनके क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा प्रदान किया जाए, ताकि बड़ा भंगाल के लोग भी सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें। (एचडीएम)
लोगों के आने-जाने के लिए रास्ता तक नहीं
यही नहीं अगर भौगोलिक स्थिति से देखा जाए तो बड़ा भंगाल जाने के लिए एक रास्ता वाया बीड़-छोटा भंगाल के कोठी कोहड़ से थमसर जोत होकर है। थामसर जोत को पार कर तीन दिन पैदल चल कर वहां पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता वाया होली नया ग्राम होकर बड़ा भंगाल के लिए है, मगर रावी नदी किनारे वह मार्ग इतना संकरा है कि लोगों को आज भी रस्सियों के सहारे जाना-आना पड़ता है। बड़ा भंगाल न पहुंच पाने पर लोग किराए में मकान ले कर बीड़ बैजनाथ व आसपास के क्षेत्रों में अपना जीवन यापन करने पर मजबूर हैं। उधर, वाया चंबा-होली-नया ग्राम होकर दो साल से प्रधानमंत्री सडक़ योजना के तहत कार्य चला है। दो साल में मात्र 500 मीटर सडक़ निर्माण हो पाया है। इस हिसाब से तो बड़ा भंगाल तक सडक़ पहुंचने में कई साल लग जाएंगे।
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