हिमाचल प्रदेश

अनदेखी का शिकार, उत्तरी भारत की पहली हर्बल मंडी बंद

Gulabi Jagat
2 May 2023 12:19 PM GMT
अनदेखी का शिकार, उत्तरी भारत की पहली हर्बल मंडी बंद
x
सोलन: प्रदेश व उत्तरी भारत की पहली हर्बल मंडी बंद हो गई है। बीते एक वर्ष में इसमें न तो किसानों ने कोई जड़ी-बूटी को मंडी में पहुंचाया है तथा न ही सरकार के आयुर्वेद विभाग ने इस हर्बल मंडी की उन्नति के लिए कारगर कदम उठाए हैं। आलम यह है कि हर्बल उत्पादों के इस मंडी में न पहुंचने के कारण हिमाचल राज्य की पहली यूनिक मंडी अब लगभग बंद हो गई है। हर्बल मंडी को सोलन जिला के बनलगी (कुठाढ़) में खोला गया है। बनलगी में सब्जी मंडी 1984 में चालू की गई थी, किंतु एक वर्ष के भीतर ही यह बंद हो गई। कृषि उपज मंडी समिति सोलन ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बनलगी में बंद पड़ी मंडी को नया रूप देकर इसे प्रदेश की पहली हर्बल मंडी में बदलने का निर्णय लिया। हिमाचल राज्य में सतबरी, आंवला, हरड़, बेहड़ा, अश्वगंधा, बिच्छू बूटी, सफेद मूसली, कढ़ी पत्ता, तुलसी प्राकृतिक तौर पर पाई जाती है। इसके अतिरिक्त छोटे स्तर पर किसान भी इन जड़-बूटियों का उत्पादन कर रहे हैं। प्रदेश के सिरमौर, चंबा, लाहुल-स्पीति, शिमला, सोलन, किन्नौर इत्यादि जिलों में हर्बल पौधे पाए जाते हैं तथा कुछ स्थानों पर किसान भी इसका उत्पादन करते हैं।
इन उत्पादों को बेचने के लिए प्रदेश के साथ-साथ पूरे उत्तरी भारत में कोई भी मंडी नहीं थी। कृषि विपणन बोर्ड ने बनलगी में हर्बल मंडी के निर्माण का खाका तैयार करके बीते वर्ष इसे क्रियान्वित भी किया। विभागीय जानकारी के मुताबिक शुरुआती दिनों में सिरमौर से किसानों ने जंगलों से प्राकृतिक तौर पर उगने वाली बिच्छू बूटी व सोलन के एक गांव से आंवले की खेप हर्बल मंडी में पहुंची तथा आढ़तियों ने इसे डिमांड के अनुसार देश के अन्य हिस्सों में इसे पहुंचाया भी, परंतु व्यावसायिक तौर पर इन हर्बल उत्पादों का उत्पादन न होने के कारण धीरे-धीरे माल का यहां पहुंचना बंद हो गया। इस संदर्भ में एपीएमसी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा ने कहा कि उत्तरी भारत में यह विभाग का प्रथम प्रयास था तथा अब व्यावसायिक तौर पर हर्बल उत्पादों की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु उद्यान विभाग से पत्राचार किया जा रहा है। -एचडीएम
Next Story