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हिमाचल प्रदेश
वाहन मालिकों को ढीली करनी होगी जेब, वाहन पंजीकरण शुल्क बढ़ाने की तैयारी में प्रदेश सरकार
Gulabi Jagat
24 Jan 2023 12:18 PM GMT
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मंडी
75 हजार करोड़ रुपये कर्जे के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार एक तरफ जहां अपने खर्चों में कटौती की तरफ देख रही है। वहीं, सरकार के लिए अपनी आमदनी बढ़ाना व नए स्रोत पैदा करना भी जरूरी हो गया है। आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार शराब व लग्जरी उत्पादों पर उपकर बढ़ाने की तैयारी के साथ ही हिमाचल प्रदेश में वाहन पंजीकरण शुल्क भी बढ़ा सकती है। अगामी वित्त वर्ष से हिमाचल प्रदेश में वाहन पंजीकरण और महंगा हो सकता है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने मोटर व्हीकल टैक्स, पंजीकरण व अन्य शुल्क से पौने चार अरब रुपए की कमाई की है। इस आय को और बढ़ाने की तैयारी सरकार ने कर ली है।
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 50 हजार की मोटरसाइकिल के लिए सात प्रतिशत, दो लाख तक के दोपहिया वाहन आठ प्रतिशत और दो लाख से अधिक की मोटरसाइकिल पर 10 प्रतिशत पंजीकरण शुल्क देना पड़ रहा है। इसी तरह से 15 लाख की कार पर आठ प्रतिशत और इससे अधिक की कार पर 10 फीसदी पंजीकरण शुल्क देना पड़ रहा है। 2020 में ही पूर्व भाजपा सरकार ने वाहन पंजीकरण फीस को बढ़ाया था। हालांकि हमारे पड़ोसी राज्य में इस समय वाहन पंजीकरण हिमाचल प्रदेश से ज्यादा है। इस समय पंजाब में एक लाख कम कीमत की मोटर साइकिल की खरीद पर सात फीसदी और उससे ज्यादा की कीमत के दोपहिया वाहन पर नौ फीसदी पंजीकरण शुल्क देना पड़ता है।
इसी तरह से 15 लाख रुपए तक कारों पर 9 फीसदी और उससे अधिक कीमत की कारों पर 11 प्रतिशत रजिस्टे्रशन फीसदी देनी पड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश सरकार जहां अपने खर्चो में कटौती करने की योजना पर काम कर रही है। वहीं आय के नए साधन तलाशने और बढ़ाने पर भी गंभीरता से सरकार ने अधिकारियों को काम करने के आदेश दिए हैं। ऐसे में हिमाचल सरकार भी पंजाब के बराबर ही पंजीकरण शुल्क को मंजूरी दे सकती है। बता दें कि इस समय हिमाचल प्रदेश में सभी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों के शोरूम हैं और हर वर्ष अरबों रुपयों का कारोबार हो रहा है, जिससे प्रदेश सरकार को भी अच्छी खासी कमाई होती है। (एचडीएम)
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Gulabi Jagat
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