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ऊना: विजिलेंस की बड़ी कार्रवाई, कांगड़ा बैंक के चार पूर्व निदेशक को किया अरेस्ट
हिमाचल प्रदेश: पूर्व कांग्रेस सरकार में नियमों को ताक पर रख कर गगरेट के एक उद्योग को करीब साढ़े 19 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत करने के चलते कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के लोन कमेटी के सदस्य व बैंक के तत्कालीन चार डायरेक्टर राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार ब्यूरो ऊना ने गिरफ्तार कर लिए हैं। जिन्हें तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश हुए हैं। हालांकि इस मामले में उक्त उद्योग के तीन डायरेक्टर भूमिगत हो गए हैं। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा बैंक प्रबंधन की शिकायत पर मामला दर्ज कर इस मामले की जारी जांच के बीच सात लोग अग्रिम जमानत पाने के लिए उच्च न्यायालय की शरण में गए थे। लेकिन उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद बैंक के चार पूर्व निदेशक तो विजीलेंस के हत्थे चढ़ गए जबकि उद्योग के तीन निदेशकों की विजीलेंस सरगर्मी से तलाश कर रही है।
पूर्व कांग्रेस सरकार के समय गगरेट में यूआर सिंटर नामक उद्योग के लिए उद्योग प्रबंधन द्वारा वर्ष 2014 में कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की अंब शाखा में ऋण के लिए आवेदन किया था। बताया जा रहा है कि उद्योग प्रबंधन द्वारा गगरेट की ग्राम पंचायत कलोह के बुंबलू गांव में जिस जमीन को उद्योग लगाने के लिए चिंहित किया गया था उसकी कीमत कागजों में ज्यादा दर्शा कर बैंक में लोन के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि बैंक की लोन कमेटी ने इसे स्वीकृत कर दिया। लेकिन ब्रांच मैनेजर ने जब फर्म के कागजों के पड़ताल की तो ऋण के लिए आवेदन करने से तीन महीने पहले ली गई भूमि की कीमत दो करोड़ 29 लाख रुपये थी जबकि इसकी वैल्यू 21 करोड़ रुपये के करीब दर्शाई गई थी। आरोप है कि लोन कमेटी ने विशेषज्ञों की राय को दरकिनार करते हुए यूआर सिंनटर उद्योग के लिए करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का टर्म लोन व पंद्रह करोड़ रुपये की के्रडिट लिमिट स्वीकृत कर दी। जिससे बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
बैंक प्रबंधन की पकड़ में जब ये बात आई तो मामला जांच के लिए विजीलेंस विभाग को दिया गया। जांच में अनियमितताएं पाए जाने पर विजीलेंस ने दस दिसंबर 2021 को मामला दर्ज कर जांच आगे बढ़ा दी। इसी बीच कांगड़ा जिले से संबंध रखने वाले केसीसीबी के तत्कालीन निदेशक व लोन कमेटी के सदस्य लेखराज, करनैल सिंह व ऊना जिले से संबंध रखने वाले केसीसीबी के तत्कालीन निदेशक व लोन कमेटी के सदस्य योगराज व प्रकाश चंद राणा तथा उद्योग के निदेशक शिवम सेठ, चेतन नेगी व सुनीता सेठ अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा इनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर देने के बाद विजीलेंस विभाग ने बैंक के चारों पूर्व निदेशकों को तो गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उद्योग के निदेशक भूमिगत हो गए हैं। जिन्हें विजीलेंस की टीमें सरगर्मी से तलाश कर रही हैं।
गिरफ्तार किए गए चारों पूर्व निदेशकों को ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर विजीलेंस ने उनका पुलिस रिमांड भी हासिल कर लिया है। इस मामले में बैंक से जुड़े कई और लोगों पर भी गिरफ्तारी की गाज गिर सकती है। विजीलेंस के जिला अधिकारी अनिल मेहता ने बताया कि लोन घोटाले में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है।