हिमाचल प्रदेश

संपन्न लोगों को फ्री चीजें देकर भिखमंगा बनाने का प्रयत्न महापाप, सस्ते भाव में मिले जरूरी सामान

Gulabi Jagat
13 Aug 2022 7:55 AM GMT
संपन्न लोगों को फ्री चीजें देकर भिखमंगा बनाने का प्रयत्न महापाप, सस्ते भाव में मिले जरूरी सामान
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सस्ते भाव में मिले जरूरी सामान
पालमपुर
भारतीय राजनीति में मुफ्त रेबडिय़ां बांटने के प्रश्न पर एक गंभीर बहस हो रही है। मामला देश के उच्चतम न्यायालय तक भी पहुंच गया है। भारत में वर्षों पहले गंभीरता से विचार करके ठीक निर्णय कर लिया गया था। उसकी दृष्टि में यह बहस बिलकुल व्यर्थ है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद देश के गरीबों के लिए खून के आंसू बहाते रहे, उन्होंने दरिद्र नारायण का मंत्र दिया। महात्मा गांधी ने उसी आधार पर अंत्योदय का मंत्र दिया। दीनदयाल उपाध्याय ने पंक्ति में सबसे पीछे के व्यक्ति की मदद का मंत्र दिया। इन्हीं मंत्रों के आधार पर 1977 में जनता सरकारों ने अंत्योदय योजनाएं शुरू कीं। एक वर्ष के बाद 40 प्रतिशत परिवार गरीबी की रेखा से ऊपर हो गए थे।
उन्होंने कहा कि जब वह केेंद्र में खाद्य मंत्री बने, तो आनाज के भंडार भरे पड़े थे, रखने को जगह नहीं थी, परंतु प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में किसी को मुफ्त अनाज बांटने की बात नहीं सोची गई। सबसे गरीब 10 करोड़ लोगों को चुन कर अंत्योदय अन्न योजना शुरू हुई। मुफ्त अनाज नहीं, बल्कि सस्ते भाव पर 35 किलो अनाज दो रुपए किलो गेहूं और तीन रुपए किलो चावल देना शुरू किया। कुछ समय बाद सरकार के सामने एक विषय आया, कुछ लोग इतने अधिक गरीब हैं कि दो और तीन रुपए के भाव पर भी राशन नहीं खरीद सकते। तब प्रधानमंत्री से सलाह करके अन्नपूर्णा योजना शुरू की। भुखमरी के कगार पर जी रहे अति गरीब परिवारों को 20 किलो अनाज मुफ्त दिया जाने लगा। अति गरीब लोगों को मुफ्त नहीं, सस्ते भाव पर आवश्यक वस्तुएं दी जाएं और अन्य सभी लोगों को कुछ भी मुफ्त नहीं दिया जाए। अच्छे भले संपन्न लोगों को मुफ्त वस्तुएं देकर भिखमंगा बनाने का प्रयत्न एक महापाप है।
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