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गोबिंद सागर झील में किया ट्राय, बचाएगी रिमोट कंट्रोल से संचालित बोट
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अब रिमोट कंट्रोल से संचालित लाइफ सेविंग बोट का इस्तेमाल करेगा। जिला आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने बिलासपुर शहर स्थित लुहणू घाट पर गोबिंद सागर झील में इसका परीक्षण किया।
नदियों में डूबने से आए दिन हो रही मौतों को रोकने के मकसद से आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अब रिमोट कंट्रोल से संचालित लाइफ सेविंग बोट का इस्तेमाल करेगा। सफल परीक्षण करने के बाद एक लाइफ सेविंग बोट को पर्वतारोहण एवं खेल संस्थान मनाली के अधीन वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर बिलासपुर को सौंप दिया है। यह लाइफ बोट गहरे पानी में डूब रहे एक इंसान को बचाने में सक्षम है। बोट को झील या नदी के किनारे खड़े होकर रिमोट से संचालित किया जाता है। जिला आपदा प्रबंधन के अधिकारियों ने बिलासपुर शहर स्थित लुहणू घाट पर गोबिंद सागर झील में इसका परीक्षण किया।
इसमें डेमो के रूप में एक युवक को डूबने से बचाया गया। यह रिमोट कंट्रोल लाइफ बोट नदी में डूबते हुए एक व्यक्ति के पास करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से पहुंचेगी और 20 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से किनारे ले आएगा। डूबते हुए व्यक्ति को सिर्फ इस बोट को पीछे से पकड़ना होगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने ऐसी तीन बोटों को खरीदा है। इन्हें बिलासपुर के लुहणू घाट, पौंग डैम और ततापानी में तैनात किया गया है। इनका संचालन सबंधित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण करेंगे।
70 किलो वजनी आदमी को ला सकती है बाहर
बिलासपुर जिला आपदा प्रबंधन प्रभारी रीतेश कुमार ने बताया कि गोबिंद सागर झील में एक लाइफ सेविंग बोट को तैनात किया है। यह बोट 70 किलो के आदमी को तत्काल बाहर ला सकती है।
रेस्क्यू अभियान में होगी मददगार : ठाकुर
वॉटर स्पोर्ट्स सेंटर बिलासपुर की प्रभारी जमना ठाकुर ने बताया कि गोबिंद सागर झील में वॉटर स्पोर्ट्स के आयोजन सहित झील में कई प्रकार की गतिविधियों की जाती हैं। रेस्क्यू करने में यह बोट कारगर सिद्ध होगी। इसे चलाने का परीक्षण वॉटर स्पोर्टस सेंटर से जुड़े खिलाड़ियों को भी दिया जा रहा है।
उधर, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (एडीएम) डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बीते सोमवार को गोबिंदसागर झील में हुए हादसे की जांच शुरू कर दी है। बुधवार को डॉ. अमित ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर घटनास्थल का दौरा किया। जांच रिपोर्ट उपायुक्त को दो या तीन दिन में सौंपी जा सकती है। इसके बाद सभी हितधारकों के साथ बैठक की और फीडबैक लिया। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों से भी इस तरह के हादसों को रोकने और एहतियातन कदम उठाने को लेकर जानकारी ली। सभी हितधारकों के साथ बैठक कर विस्तार से जानकारी ली गई। एडीएम ने शोक में डूबे में मृतकों के साथियों के बयान नहीं लिए हैं। पुलिस को दिए बयान को ही जांच में शामिल किया गया है।
प्रशासनिक स्तर पर इस जांच को गुप्त रखा जा रहा है। जांच में क्या किया जा रहा है, इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि एडीएम ने स्थानीय मंदिर कमेटी को दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात करने की सिफारिश की है। लाउडस्पीकर के जरिये झील किनारे आने वाले लोगों को चेतावनी देने को कहा गया है। यदि चेतावनी के बावजूद पर्यटक नहीं हटते हैं तो सिक्योरिटी गार्ड उन्हें हटाएंगे। वाहनों को झील किनारे ले जाने पर रोक लगाने पर मंथन चल रहा है। सड़क के पास ही पार्किंग की योजना बनाई जा रही है। उधर, एडीएम डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि जांच की जा रही है। सभी तथ्यों और हितधारकों से बातचीत की जा रही है। जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी जाएगी। गौरतलब है कि बीते सोमवार को पंजाब के बनूड़ से प्रदेश के धार्मिक स्थलों में घूमने आए 11 में से 7 युवा कोलका स्थित गोबिंदसागर झील किनारे डूब गए थे। इसके बाद उपायुक्त ने एडीएम को जांच का जिम्मा सौंपा है।