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हिमाचल प्रदेश
एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन से होगा इलाज, स्क्रब टाइफस नहीं ले पाएगा जान
Gulabi Jagat
3 March 2023 10:22 AM GMT
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मंडी: विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं की एक भारतीय टीम ने ‘स्क्रब टाइफ स’ के गंभीर मामलों की दवा द्वारा बेहतर इलाज का पता लगाया है। यह ओरिएंटिया सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया का जानलेवा संक्रमण है। मुख्य रूप से चूहों का यह संक्रमण ट्रॉम्बिक्युलिड माइट्स के लारवा से मनुष्यों (जूनोज) में फैलता है। शोधकर्ताओं ने यह देखा कि स्क्रब टायफस के गंभीर मामलों के इलाज में केवल एक दवा से अधिक कारगर ‘एंटीबायोटिक मिलाकर’ उपचार करना है। स्क्रब टाइफस का संक्रमण भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। यह अनुमान है कि विशेष प्रकोप वाले क्षेत्रों में लगभग एक अरब लोगों पर इस संक्रमण का खतरा है जबकि हर साल दस लाख लोग इससे संक्रमित होते हैं और 1.5 लाख लोग दम तोड़ देते हैं।
स्क्रब टायफ स के गंभीर मरीजों के लिए बेहतरीन इलाज का पता लगाने के उद्देश्य से क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वेल्लोर, तमिलनाडु में संक्रामक रोग चिकित्सक और शोधकर्ता प्रोफेसर जॉर्ज एम वर्गीस और आईएनटीआरईएसटी ट्रॉयल के परीक्षकों ने विभिन्न केंद्रों पर नियंत्रित रंैडम ट्रॉयल किए। इसके लिए आर्थिक सहयोग डीबीटी/वेलकम इंडिया एलायंस ने दिया है। शोध परीक्षण से यह सामने आया कि डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन मिलाकर उपचार करना इन दो में किसी एक से उपचार की तुलना में अधिक असरदार है। यह नया अध्ययन स्क्रब टाइफस के गंभीर मामलों के उपचार पर अब तक का सबसे बड़ा नियंत्रित रैंडम ट्रॉयल है। इसका प्रकाशन हाल ही में द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (डीओआई नं. डालें) में किया गया। इस शोध में सहयोगी संस्थान पोस्टग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर), चंडीगढ़, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एंड हॉस्पिटल (आईजीएमसी) शिमला, पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रोहतक, जवाहरलाल इंस्टीच्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर), पुडुचेरी, क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर, एसवीआईएमएस तिरुपति और केएमसी मणिपाल हैं।
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