हिमाचल प्रदेश

प्रशासनिक अनिवार्यता और जनहित के बगैर ट्रांसफर आदेश गलत, मनमाने ढंग से तबादला करना गैरकानूनी

Gulabi Jagat
23 Jun 2023 11:30 AM GMT
प्रशासनिक अनिवार्यता और जनहित के बगैर ट्रांसफर आदेश गलत, मनमाने ढंग से तबादला करना गैरकानूनी
x
शिमला: प्रदेश हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के तबादले मनमाने ढंग से करने को गैरकानूनी ठहराया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक अनिवार्यता और जनहित के बगैर किए तबादला आदेश गलत है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता नवनीश कुमार की याचिका का निपटारा करते हुए उसके स्थान पर प्रतिवादी हरिकृष्ण को एडजस्ट करने वाले आदेश को खारिज कर दिया। प्रार्थी नवनीश कुमार ने अपने तबादला आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि वह गगरेट में अधीक्षक ग्रेड-टू के पद पर कार्यरत हैं। इस स्थान पर अभी अपना सामान्य सेवाकाल पूरा नहीं किया है। आरोप लगाया गया था कि बिजली बोर्ड ने प्रतिवादी हरिकृष्ण को गगरेट में एडजस्ट करने के लिए उसका तबादला शिमला के लिए किया है। कोर्ट को बताया गया था कि प्रतिवादी को इससे पहले बोर्ड ने शिमला के लिए स्थानांतरित किया था, परंतु बोर्ड ने प्रतिवादी को याचिकाकर्ता के स्थान पर एडजस्ट कर दिया।
संपत्ति को कब्जामुक्त करने के आदेशों पर रोक लगाने से इनकार
शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने आजादी से पहले ‘पशु पड़ाव’ नाम से जानी जाने वाली संपत्ति को कब्जामुक्त करने के आदेशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने नगर निगम शिमला के आयुक्त और मंडलायुक्त शिमला द्वारा पारित बेदखली आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि नगर निगम शिमला ने उसे गलत तरीके से बेदखल किया है। अदालत को बताया गया कि निगम को कई शिकायतें मिली कि प्रार्थी ने सरकारी संपत्ति ‘पशु पड़ाव’ पर अवैध कब्जा किया है। निगम ने प्रार्थी के खिलाफ बेदखली का कार्रवाई की और 21 फरवरी, 2023 को बेदखली आदेश पारित किए। इन आदेशों को प्रार्थी ने मंडलायुक्त शिमला के पास अपील के माध्यम से चुनौती दी। अपील के साथ बेदखली आदेशों को स्थगन किए जाने के लिए आवेदन भी किया गया। मंडलायुक्त शिमला ने बेदखली आदेशों को स्थगन करने से इनकार कर दिया। मामले पर सुनवाई 30 नवंबर को निर्धारित की गई है।
Next Story