हिमाचल प्रदेश

ट्रॉली में फंसे पर्यटकों ने जान बचाने के लिए पढ़ा हनुमान चालीसा

Bharti sahu
20 Jun 2022 4:46 PM GMT
ट्रॉली में फंसे पर्यटकों ने जान बचाने के लिए पढ़ा हनुमान चालीसा
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हिमाचल प्रदेश के परवाणू में टीटीआर रिजॉर्ट की केबल कार (ट्रॉली) में फंसने के छह घंटे बाद जमीन पर पहुंचे दिल्ली के पर्यटक ने कहा कि जान बचाने के लिए उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ा।

हिमाचल प्रदेश के परवाणू में टीटीआर रिजॉर्ट की केबल कार (ट्रॉली) में फंसने के छह घंटे बाद जमीन पर पहुंचे दिल्ली के पर्यटक ने कहा कि जान बचाने के लिए उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ा। होटल प्रबंधकों की ओर से देरी से सहायता मिलने पर उन्होंने सभी भगवान को याद किया। महिलाएं भी भगवान से जान बचाने की दुहाई मांगती रहीं। उन्होंने बताया कि तीन घंटे तक मोबाइल ही सहारा बने रहे। रेस्क्यू ट्रॉली के मौके पर आने के बाद उनसे पानी, डॉक्टर और अन्य चीजों की मांग की गई लेकिन होटल प्रबंधकों ने उन्हें कुछ भी मुहैया नहीं करवाया।

करीब तीन घंटे बाद पानी की बोतलें ट्रॉली तक पहुंचीं। पर्यटक ने प्रबंधक पर आरोप लगाया कि रोपवे को बिना पर्यटकों की सुरक्षा के चलाया जा रहा है। टॉली में जो पर्यटक थे उनमें कोई डायबिटीज तो कोई बीपी का मरीज था। हवा में अटकने के बाद दो लोगों की तबीयत भी खराब होने लगी। वहीं प्रबंधकों ने रेस्क्यू करने के लिए रस्सी का एकमात्र सहारा देखा। पर्यटकों ने कहा कि अगर प्रशासन के पास रोपवे का प्रबंध होता तो उन्हें एक घंटे में निकाल लिया जाता। लेकिन निजी स्तर के ऐसे रोपवे होने के चलने सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे।
महिला थी हार्ट पेशेंट
केबल कार में फंसे पर्यटकों में एक महिला हार्ट की मरीज थी। इसके चलते रस्सी के सहारे उरतने से मना कर दिया। वहीं प्रशासन के सपंर्क साधने और महिला को हौसला देने के बाद रस्सी के सहारे सुरक्षित नीचे उतारा गया।
होना है डायलिसिस
पर्यटकों में एक किडनी का मरीज भी केबल ट्रॉली में फंस गया। मरीज का मंगलवार को डायलिसिस होना है। पर्यटक ने उतरते ही प्रशासन और एनडीआरएफ टीम का आभार जताया। हालांकि उससे पहले उसने ट्रॉली में होटल प्रबंधकों को लापरवाही के लिए खूब कोसा।
उतरने के बाद भी बेसुध रहीं महिलाएं
भले ही ट्रॉली से महिलाओं को सुरक्षित उतार लिया गया मगर कहीं न कहीं उनके मन में डर था। वह सदमे में थी। जब महिलाओं को ट्रॉली से नीचे उतारा जा रहा था तो उनकी चीख निकल गई। उनकी आंखों में आंसू थे। जैसे ही महिलाओं को नीचे पहुंचाया जा रहा था तो वह बेसुध हो रही थीं। उनका रेस्क्यू टीम ने काफी हौसला बढ़ाया। इसके बाद वह सदमे से कुछ बाहर निकल पाईं।


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