हिमाचल प्रदेश

पर्यटन विभाग: ट्राउट का आखेट करेंगे सैलानी, काष्ठकुणी शैली में बने होम स्टे

Kunti Dhruw
10 Jan 2022 7:56 AM GMT
पर्यटन विभाग: ट्राउट का आखेट करेंगे सैलानी, काष्ठकुणी शैली में बने होम स्टे
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मंडी जिले के द्रंग क्षेत्र की चौहारघाटी में पर्यटन को पंख लगेंगे।

हिमांचल : मंडी जिले के द्रंग क्षेत्र की चौहारघाटी में पर्यटन को पंख लगेंगे। पर्यटन विभाग ने इसके लिए खास योजना तैयार की है। जिसमें पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए बरोट में सैलानियों के लिए ट्राउट एंगलिंग का इंतजाम किया जाएगा। मत्स्य विभाग के फार्म में यह व्यवस्था की जाएगी। वहीं हर्बल विलेज का निर्माण किया जाएगा। जिसमें काष्ठकुणी शैली में निर्मित होम स्टे में सुकून के पल बिता सकेंगे और आर्गेनिक विधि से तैयार फल, सब्जियों का स्वाद सैलानी चख सकेंगे।

इसके अलावा झटिंगरी में विभाग की उपलब्ध लगभग साठ बीघा जमीन में नेचर पार्क और हट्स का निर्माण किया जाएगा, ताकि सैलानी यहां की मनोरम वादियों को निहारने के साथ फुर्सत के पल व्यतीत कर सकें और ट्रैकिंग के साथ साथ एडवेंचर खेलों का भी लुत्फ ले सकें। पर्यटन विभाग चौहारघाटी के अन्य प्रमुख स्थलों को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर पर्यटन व्यवसाय को पंख लगाने का खाका खींच चुका है। यदि कवायद सिरे चढ़ी तो चौहारघाटी के झटिंगरी और बरोट में पर्यटन कारोबार विकसित होने से बेरोजगारों को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। पराशर और ज्वालापुर में ट्रेकिंग रूट विकसित करने के साथ साथ ट्रेकरों के लिए इको ट्रेल, व्यू प्वाइंट तैयार किए जाएंगे। जहां सैलानी राक क्लाइंबिंग का भी लुत्फ उठा सकेंगे।
नर्गू वन्यजीव अभ्यारण्य को भी निहार सकेंगे
बरोट 278 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले नर्गू वन्यजीव अभ्यारण्य का गेटवे भी है। यह मोनल, जंगली बिल्लियों, बंदरों और काले भालू का घर है। सैलानी इस अभ्यरण्य के निहार सकें, इसके लिए भी विशेष प्रबंध किए जाएंगे। बरोट, कुल्लू और कांगड़ा घाटी के ट्रैकिंग मार्ग का भी आधार है। यह क्षेत्र सब्जियों और दालों के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। इसमें चारों ओर खूबसूरत दृश्य हैं जो हर किसी को आकर्षित करते हैं। हर साल हजारों पर्यटक इस जगह पर आते हैं।

कुल्लू से लेकर चंबा तक ट्रैक उपलब्ध
चौहारघाटी के सिल्हबुधाणी से कुल्लू के लिए वाया भुभु जोत और बरोट से चंबा के लिए वाया छोटा बड़ा भंगाल भी ट्रैकिंग रूट उपलब्ध है। यहां विदेशी पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद लेते हैं। पर्यटन विभाग इन रूट को भी विकसित करने की योजना बना रहा है। बरोट, झटिंगरी, फुलाधार, घोघरधार, बधौणधार और पराशर घाटी में पर्यटन व्यवसाय की अपार संभावनाएं हैं। ऐसे में सरकार अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए बल दे रही है।

शानन जलाशय सुंदरता को लगाता है चार चांद
बरोट 1835 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उहल नदी के तट पर रमणीय नगर है। जो अपने ट्राउट फिश फार्म के लिए प्रसिद्ध है। यह मत्स्यपालन विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है। अंग्रेजों द्वारा निर्मित शानन पावर प्रोजेक्ट का जलाशय यहां स्थित है जो बरोट की सुंदरता बढ़ाता है।

धार्मिक पर्यटन से जुड़ेगा देव पशाकोट मंदिर
पर्यटन विभाग बरोट वैली को धार्मिक पर्यटन से भी जोड़ेगा। देव पशाकोट मंदिर से सैलानियों को जोड़ा जाएगा। जहां सैलानी अध्यात्म की अनुुभूति भी पा सकेंगे। यह मंदिर एक पहाड़ी की तलहटी में उहल नदी के तट पर स्थित है, मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 15 मिनट का समय लगता है। जिस मार्ग को संवारे जाने की भी योजना है।

लपास गांव झरने को पिकनिक स्पॉट में संवारा जाएगा
लपास गांव में स्थित झरने को पिकनिक स्पॉट में संवारा जाएगा। यह गांव बरोट से करीब 13 किमी दूूूूर है। बरोट से 6 किलोमीटर दूर झटिंगिरी मार्ग पर सड़क से एक कच्चे लिंक रोड़ से लपास गांव पहुंचा जा सकता है। गांव में बहुत ही पुराने लकड़ी के पारंपरिक घर विद्यमान है। गांव के साथ लगती घाटी में एक सुंदर सा झरना है, जिसे पिकनिक स्पॉट के रूप में स्थानीय लोगों द्वारा विकसित किया गया है और अब इसे पर्यटन विभाग चार चांद लगाएगा।

करेरी झील को बनाया जाएगा मुख्य आकर्षण
बरोट से 10 किमी की दूरी पर स्थित, करेरी झील भी मुख्य दर्शनीय पर्यटन स्थलों में से एक है। जहां ट्रेकिंग की जाती है। साल भर अद्भुत ग्लेशियर और पहाड़ की धाराओं के साथ, यहां का बहता हुआ पानी बिल्कुल साफ है। चारों ओर शांत वातावरण और खूबसूरती से भरा हुआ यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा।

चौहारघाटी को पर्यटन की दृष्टि से निखारने की कवायद शुरू है। यहां विशेष प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, ताकि पर्यटन की दृष्टि से क्षेत्र को निखारा जा सके। कुछ अनछुए पर्यटन स्थलों को नई मंजिल नई राहें से जोड़े जाने की योजना है। साहसिक और धार्मिक पर्यटन को यहां बढ़ावा दिया जाएगा। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मुहैया हों। - अरिंदम चौधरी, डीसी मंडी


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