हिमाचल प्रदेश

आज हिमाचल में बढ़ेगा मरीजों का मर्ज, यहां यहां के चिकित्सक रहेंगे सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर

Renuka Sahu
4 Oct 2022 1:14 AM GMT
Today, the merger of patients will increase in Himachal, the doctors here will be on mass casual leave
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न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

क्या प्रदेश के मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों के मौन प्रदर्शन के बाद सरकार टूटेगी और चिकित्सकों की सुध लेगी, यह तो मंगलवार को ही मालूम होगा, लेकिन मंगलवार को मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों के सामूहिक मास कैजुअल लीव पर जाने के कारण मरीजों का मर्ज और अधिक बढ़ जाएगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या प्रदेश के मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों के मौन प्रदर्शन के बाद सरकार टूटेगी और चिकित्सकों की सुध लेगी, यह तो मंगलवार को ही मालूम होगा, लेकिन मंगलवार को मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों के सामूहिक मास कैजुअल लीव पर जाने के कारण मरीजों का मर्ज और अधिक बढ़ जाएगा। यदि इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल की करें, तो यहां पर आईजीएमसी व डेंटल कालेज के ही 250 चिकित्सक सामूहिक अवकाश पर रहेंगे, जबकि मंडी, टांडा, हमीरपुर, चंबा के चिकित्सक भी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। हालांकि नाहन मेडिकल कालेज से अभी तक सेमडिकोट को कोई जबाव नहीं मिला है। मेडिकल कालेज के चिकित्सकों को अकादमिक भत्ता न देने और सरकार द्वारा गठित की गई कमेटी द्वारा सात माह में कोई निर्णय न लेने आदि मांगों से आहत मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों ने सामूहिक मास कैजुअल लीव पर जाने का निर्णय लिया है। उधर, हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने भी मेडिकल कालेजों के चिकित्सकों का समर्थन करते हुए मंगलवार को काले बिल्ले लगाकर काम करने का निर्णय लिया है। सुभाषीश पंडा, स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मेडिकल कालेजों में रेजिडेंट्स डाक्टर मरीजों की जांच का जिम्मा संभालेंगे और अस्पताल प्रशासन को अपने स्तर पर सुविधाएं देने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने डाक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया है। उनकी मांगों पर विचार किया जा रहा है। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से भी विचार विमर्श किया जा रहा है।

इन मांगों पर अड़े डाक्टर
सेमडिकोट के अध्यक्ष डा. राजेश सूद ने बताया कि सरकार ने स्पेशलिस्ट डाक्टरों का अकादमिक भत्ता 7500 से 18000 रुपए कर दिया है, लेकिन मेडिकल कालेजों में काम करने वाले डाक्टरों को अभी तक यह भत्ता नहीं दिया है, जिसे प्रदान किया जाए। सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के सात माह में कुछ भी न करने से चिकित्सक बेहाल हैं। डेजीगनेटिड टाइम बांड की जगह रेगुलर टाइम बांड प्रोमोशन, आईजीएमसी से अन्य अस्पतालों में अस्थायी तौर पर शिक्षकों को भेजने का क्रम बंद होना चाहिए और 2008 का मॉडल रिस्टोर होना चाहिए। ऐसे में लगभग 250 डाक्टर सामूहिक अवकाश पर जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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