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इस बार चुनाव परिणाम बदल सकते हैं किसान-बागबानों के मुद्दे, कहा, अब सरकार के झूठे वादों का देंगे जवाब
न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विधानसभा चुनावों में इस बार किसानों-बागबानों के मुद्दे भी चुनावी परिणाम बदल सकते है । शिमला, मंडी, कुल्लू और किन्नौर जिला में बागबानों के मुद्दे चुनावों में भारी पडऩे वाले है। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 में दावा किया था कि 2022 तक किसानों-बागबानों की से दोगुनी होगी। बागबानों का कहना है कि आय तो दोगुनी नहीं हुई लेकिन खर्चे जरूर डबल हो गए है। किसानों-बागबानों का कहना है कि हर साल खाद व कीटनाशकों के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। कोविड काल से पहले जहां म्यूटेंट पोटाश जहां 1050 रुपए में मिलती थी, तो वहीं अब इसकी कीमत बढक़र 1750 हो गई है। वहीं कैल्शियम नाइट्रेट जहां 1000 से 1150 तक मिलती थी, तो वहीं अब इसकी कीमत बढक़र 1500 से 1700 तक हो गई है। कार्टन के दामों में भी हर साल बढ़ोतरी हो रही है। कांप्लेक्स के दामों में 400 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। कॉपर के रेट भी काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। कार्टन के दाम भी हर साल बढ़ रहे है। बागबानों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए बजट में भी किसानों व बागबानों के लिए बजट में 25 प्रतिशत की कटौती गई है। किसान-बागबान आयकर को छोडक़र बाकी सभी कर अदा कर रहे हैं। हर साल लागत बढ़ रह ही हैं। विदेशी सेब का आयात भी सिरदर्द बना हुआ है। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि सरकार आने वाले बजट सत्र में किसानों-बागबानों के हित में फैसले करे। कीटनाशकों व खादों पर सबसिडी जारी की जाए। लोन पर भी पांच प्रतिशत की राहत दी जाए। एचडीएम