- Home
- /
- राज्य
- /
- हिमाचल प्रदेश
- /
- 723 मेडिकल अफसरों की...
x
शिमला
अनुबंध आधार पर नियुक्त 674 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को नौकरी से बाहर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 723 पदों को भरने हेतु जारी विज्ञापन से डरे अनुबंध आधार पर नियुक्त 674 के संघ व अन्य डाक्टरों की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह बात हाई कोर्ट को बताई। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार के इस वक्तव्य को रिकार्ड पर लाते हुए 723 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के पदों के लिए हो रही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब मामले पर सुनवाई पहली नवंबर के लिए निर्धारित की गई है। ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ कम्यूनिटी हैल्थ ऑफिसर व अन्य डॉक्टरों द्वारा दायर याचिका के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों को अपग्रेड कर स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में बदलने की मुहिम शुरू की।
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में तैनाती देने के लिए एनएचएम ने एचएलएल लाइफ केयर कंपनी के साथ एक एमओयू 18 दिसंबर, 2018 को साइन किया। वर्ष 2019 में इस स्कीम के तहत एचएलएल कंपनी ने कुल 674 सीएचओ को तीन वर्ष के अनुबंध आधार पर उक्त केंद्रों के लिए नियुक्त किया। 19 सितंबर, 2022 को एनएचएम ने 723 सीएचओ के पदों को अनुबंध आधार पर भरने हेतु विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन से आशंकित प्रार्थियों ने हाई कोर्ट से इस भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करने हेतु याचिका दायर की। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किया गया है। अब 17 अगस्त, 2020 को केंद्र सरकार ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स तरीके से भरना बंद कर सीधे एनएचएम अनुबंध आधार पर भरे। इसलिए 723 मौजूदा पदों को केंद्र सरकार के आदेशानुसार भरा जा रहा है। सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 1500 पद स्वीकृत किए गए हैं अत: मौजूदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुबंध को समाप्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पर्यवेक्षक की पदोन्नति कहना उचित नहीं
शिमला। हाई कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से बनने वाले आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक की भर्ती मामले में एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक पदों के लिए भी आरक्षण नियम लागू होते हैं। आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक की नियुक्ति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में से होती है, परंतु इन्हें पदोन्नति कहना उचित नहीं है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने चंद्रकला की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया है। अदालत ने याचिकाकर्ता को आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक पद पर ओबीसी का आरक्षण देते हुए सभी सेवा लाभ के साथ तैनाती देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरकारी कर्मचारी नहीं हैं बल्कि वे सरकार से केवल मेहनताना पाते हैं। इसलिए आंगनबाडी कार्यकर्ता से आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक के पद को भरने के लिए सीमित सीधी भर्ती को पदोन्नत्ति नहीं कहा जा सकता।
Gulabi Jagat
Next Story