हिमाचल प्रदेश

ऊपरी क्षेत्रों को शिफ्ट हो रही इन पौधों की प्रजातियां, तापमान बढऩे से बदल रही हिमाचल की जैव विविधता

Gulabi Jagat
23 May 2023 11:27 AM GMT
ऊपरी क्षेत्रों को शिफ्ट हो रही इन पौधों की प्रजातियां, तापमान बढऩे से बदल रही हिमाचल की जैव विविधता
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शिमला: बढ़ते तापमान के कारण हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता भी प्रभावित हो रही है। तापमान बढऩे से निचले क्षेत्रों में उगने वाली प्रजातियां ऊपरी क्षेत्रों के लिए शिफ्ट हो रही है। खासकर बागबानी फलों की प्रजातियां उपरी इलाकों के लिए शिफ्ट हो रही है। इसका असर सेब की फसल पर भी देखने को मिल रहा है। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला जैव विविधता पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है। कार्यक्रम के दौरान मुख्य तकनीकी अधिकारी डा. जगदीश सिंह व डा. जोगिंद्र सिंह ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 29 दिसंबर, 1993 को जैव विविधता के मुद्दों की समझ और जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाने का निर्णय लिया था। वर्ष 2000 से 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस घोषित किया गया।
हर वर्ष इस दिवस को विभिन्न थीम पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत कि अगवाई में लाइफ मिशन कार्यक्रम चल रहा है जिसका उद्देश्य पर्यावरण के सरंक्षण हेतु 75 एक्शन प्लान सुझाए है। कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक डा. रणजीत कुमार ने कहा कि इंडियन हिमालयन क्षेत्र जैव विविधता का हॉट स्पॉट है, जो 5.3 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। यहां 21 तरह के वन पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्र से निकलने वाली नदियां 1.4 बिलियन मानव जातियों को सपोर्ट करती है। इस अवसर पर वैज्ञानिक, अधिकारी, शोधार्थी और कर्मचारी सहित 70 लोगों उपस्थित थे। इसके अलावा फीड रिसर्च स्टेशन पर कार्यरत कर्मचारी ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े।
हिमालय में 18,940 वनस्पति प्रजातियां
डा. रणजीत कुमार ने कहा कि हिमालयन क्षेत्र में 18,940 वनस्पति प्रजातियां तथा 30,000 से ज्यादा वन्य प्राणी प्रजातियां है। पौध प्रजातियों में से उत्तर पश्चिमी तथा पश्चिमी हिमालय में 6,745 फूल लगने वाली प्रजातियां है, जो 225 कुल तथा 1,768 जेनेरा से संबंधित है।
हर्बल पौधों को दें बढ़ावा
एचएफआरआई शिमला के निदेशक डा. संदीप शर्मा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रही जैव विविधता को रोकने के लिए हमे केवल बड़े पेड़ों के सरंक्षण पर ही केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि झाड़ीनुमा हर्बल पौधों को भी संरंक्षित करना होगा।
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