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डुब्लु गांव के लोग आदर्श गांव बनने की चाह में पिछले चार सालों से तरसते रहे
शिमला: आदर्श गांव का सपना संजोए बलोग पंचायत की डुब्लु गांव के लोग प्रशासन की कार्यप्रणाली से खफा हैं। लोगों का कहना है कि आदर्श गांव के नाम पर बीते चार वर्षों में डुब्लु गांव में एक ईंट भी नहीं लग पाई। सरकार ने आदर्श गांव का सपना दिखाकर डुब्लु गांव के लोगों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा किया गया है। बता दें कि वर्ष 2018-19 के दौरान मशोबरा ब्लॉक के चार गांव सोनल, डुंब्लु, पीरन और रझाना का प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत चयन किया गया था। इस योजना के तहत इन गांवों में बिजली, पानी, रास्तों को पक्का करना, बागवानी, कृषि, स्वास्थ्य सेवाएं, वनीकरण संबधी कार्य किए जाने प्रस्तावित थे। सरकार द्वारा इन गांवों के समग्र विकास के लिए 20-20 लाख का प्रावधान किया गया था। बलोग पंचायत के कुलदीप राणा, वरिष्ठ नागरिेक विश्वानंद ठाकुर, रामकृष्ण, केवलराम सहित अनेक लोगों ने बताया कि आदर्श गांव के सपने दिखाकर डुब्लु गांव की जनता के साथ सरकार ने एक भद्दा मजाक किया गया है। आदर्श गांव बनाने के नाम पर अधिकारियों ने लोगों से बड़े-बड़े वायदे किए गए थे। परंतु धरातल पर बीते चार वर्षों से कोई विकास नहीं हुआ।
स्थानीय लोगों के अनुसार बीते वर्ष मशोबरा ब्लॉक के अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत बलोग मुख्यालय पर इस बारें में बैठक भी की गई थी, जिसमें कार्य योजना तैयार की गई थी। बैठक में तैयार शैल्फ डेढ वर्ष बीत जाने के बावजूद फाइलों में दफन होकर रह गई। गौर रहे कि इस योजना का कार्यान्वयन अन्य विभागों के साथ अभिसरण (कन्वर्जेंस) से होना था। जिसमें 20 प्रतिशत व्यय पीएमएजीवाई से व 80 प्रतिशत बजट अन्य विभागों के माध्यम से अभिसरण (कन्वर्जेंस) से व्यय किया जाना प्रस्तावित था। इस योजना के तहत एक गांव में विकास कार्य पर एक करोड़ व्यय किया जाना प्रस्तावित था। संबधित विभागों के पास पर्याप्त धनराशि न होने पर यह योजना आजतक सिरे नहीं चढ़ पाई।
आदर्श गांव के लिए स्वीकृत 20 लाख की राशि ग्रामीण विकास के पास बीते चार सालों से लंबित पड़ी है। विकास खंड कार्यालय मशोबरा के एससीबीपीओ कामराज ठाकुर ने बतायाा कि डुब्लु गांव के लिए तैयार की गई शैल्फ जिला प्रशासन को स्वीकृति हेतू भेजी गई है।