हिमाचल प्रदेश

शिमला में जलसंकट का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो हरकत में आई प्रदेश सरकार

Renuka Sahu
14 Jun 2022 3:31 AM GMT
The matter of water crisis in Shimla reached the High Court, then the state government swung into action
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फाइल फोटो 

राजधानी शिमला में पेयजल संकट का मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी शिमला में पेयजल संकट का मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई है। शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों को तलब कर मंत्री ने कड़ी फटकार लगाई है। शहर में टैंकरों से पेयजल व्यवस्था को पटरी पर लाने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने खुली अदालत में जलसंकट मामले की सुनवाई की।

निगम के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि शहरवासियों के लिए कुल 47 एमएलडी पानी चाहिए। गर्मी के कारण केवल 32 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। निगम की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए खंडपीठ ने अधिकारियों से पूछा कि यदि गर्मी के कारण स्रोतों से 32 एमएलडी पानी ही उठाया जा रहा है तो वैकल्पिक दिन (एक दिन छोड़कर) में पानी क्यों नहीं दिया जा रहा है।
शहर में रोज सप्लाई देने के लिए 47 एमएलडी पानी की जरूरत है। वैकल्पिक दिन के लिए सिर्फ 24 एमएलडी की आवश्यकता है तो आठ एमएलडी पानी कहां जा रहा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विजय अरोड़ा ने हाईकोर्ट को बताया कि शहर में स्थित होटलों के लिए पांच-पांच, छह-छह पानी के कनेक्शन घरेलू दरों पर दिए गए हैं। इसीलिए कोई भी होटल मालिक पानी के लिए हाहाकार नहीं मचा रहा है। इस मामले पर आगामी सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
मंत्री ने पूछा- तीसरे दिन क्यों नहीं देते पानी
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बैठक बुलाकर निगम के अधिकारियों से पूछा कि रोज 30 एमएलडी से ज्यादा पानी मिल रहा है तो तीसरे दिन भी क्यों पानी नहीं दिया जा रहा है। अधिकारियों ने जवाब दिया कि बिजली लाइन टूटने से एक दिन पंपिंग बाधित हुई थी। लेकिन अब तीसरे दिन सप्लाई देने का प्रयास जारी है। मंत्री ने पेयजल कंपनी और बिजली बोर्ड के अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा कि एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराना बंद करें।
शहर में टैंकरों से भी पेयजल व्यवस्था पटरी पर लाएं। मंत्री ने एसडीएम को निर्देश दिए कि गुम्मा में नौटी खड्ड के किनारे चल रहीं कूहलों का पानी लेने के लिए मौके पर जाएं और किसानों से बात करें। मंत्री ने रोजाना पानी की सप्लाई की रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए। उल्लेखनीय है कि लोग लाइनों में लगकर टैंकरों और बावड़ियों से पानी भरने के लिए मजबूर हैं।
प्रदेश में भी गहराया पेयजल संकट, 827 पेयजल स्कीमें सूखे से प्रभावित
बारिश न होने से प्रदेश में भी पेयजल संकट गहरा गया है। प्रदेश भर में 827 पेयजल स्कीमें सूखे से प्रभावित हैं। 97 परियोजनाएं 50 से 100 फीसदी तक सूख गई हैं। 483 परियोजनाएं शून्य से 25 और 247 परियोजनाएं 25 से 50 फीसदी तक सूख गई हैं। सभी जल शक्ति जोन से सरकार के पास पहुंची विस्तृत रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
पेयजल किल्लत से सबसे ज्यादा ग्रामीण आबादी जूझ रही है। प्रदेश भर में करीब 9,500 परियोजनाओं से लोगों को पानी की आपूर्ति की जा रही है। कुछ और दिन बारिश नहीं हुई तो कई पेयजल स्कीमों में पानी का स्तर घट जाएगा। जलशक्ति विभाग के इंजीनियर इन चीफ संजीव कौल ने बताया कि फील्ड से सोमवार को रिपोर्ट पहुंच गई है। सूखे से 827 पेयजल स्कीमें प्रभावित हुई हैं।
किस जोन में कितनी परियोजनाएं प्रभावित
शिमला 377
हमीरपुर 272
धर्मशाला 133
मंडी 45
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