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हिमाचल प्रदेश
हाई कोर्ट ने पशु चिकित्सकों की सेवाओं के मामले में रद्द किया निर्णय, वेतनमान को अनुबंध काल भी गिना जाए
Gulabi Jagat
3 March 2023 10:04 AM GMT
![हाई कोर्ट ने पशु चिकित्सकों की सेवाओं के मामले में रद्द किया निर्णय, वेतनमान को अनुबंध काल भी गिना जाए हाई कोर्ट ने पशु चिकित्सकों की सेवाओं के मामले में रद्द किया निर्णय, वेतनमान को अनुबंध काल भी गिना जाए](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/03/03/2611811-justice-hammer-1.webp)
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शिमला
प्रदेश उच्च न्यायालय ने वेतनमान से जुड़े मामले में कैबिनेट के निर्णय को रद्द करते हुए पशु चिकित्सकों की अनुबंध या तदर्थ के आधार पर दी सेवाओं को 4 स्तरीय वेतनमान देने के लिए आंकने के आदेश पारित किए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने पंकज कुमार लखनपाल व अन्यों द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया। याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों को उनकी अस्थायी सेवाओं का लाभ न देते हुए 4 स्तरीय पे स्केल दिया जा रहा था। वह स्वास्थ्य विभाग में कार्य करने वाले अन्य चिकित्सकों की तरह ही शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और उनके समकक्ष हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को अस्थायी सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है, जबकि प्रार्थियों को अस्थायी सेवा लाभ नहीं मिल रहा था। इस पर राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि पशु चिकित्सक को शुरू में अनुबंध के आधार पर लगाया गया था, इसलिए वह अनुबंध की सेवाओं को गिनते हुए 4 स्तरीय वेतनमान लेने का हक नहीं रखते।
वह स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के समकक्ष नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की सेवा मानवीय जीवन से जुड़ी हैं, जबकि उनकी सेवाएं पशु जीवन से जुड़ी हैं। अनुबंध के आधार पर दी जाने वाली सेवाओं के लिए अलग तरह की शर्तें लागू होती हैं और वह उन शर्तों के अंदर बंधे रहते हैं। उनके साथ किए गए अनुबंध में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि राज्य सरकार उन्हें अनुबंध पर रहते 4 स्तरीय पे स्केल देने के लिए बाध्य है। एमबीबीएस डॉक्टर व वैटरिनरी डॉक्टर के काम करने के लिए अलग-अलग तरह के नियम हैं। समान काम के लिए समान वेतन जैसा सिद्धांत इस मामले में लागू नहीं हो सकता है । हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एमबीबीएस डाक्टर वैटरिनरी डॉक्टर के समकक्ष ही हैं। इन्हें एमबीबीएस डॉक्टरों की तरह नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस जैसे वित्तीय लाभ भी दिए जाते हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार की कैबिनेट द्वारा 28 फरवरी, 2020 को पारित निर्णय को रद्द करते हुए आदेश जारी किए कि प्रार्थियों की अनुबंध पर दी गई सेवाओं को 4 स्तरीय पे स्केल के लिए गिनते हुए उन्हें इस लाभ को 90 दिनों के भीतर अदा किया जाए। लाभ अदा न करने की स्थिति में इस लाभ के साथ 7:50 फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा।
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