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हिमाचल प्रदेश
रूस के दूल्हे और यूक्रेन की दुल्हन ने हिमाचल में लिए 7 फेरे
Ritisha Jaiswal
2 Aug 2022 1:48 PM GMT
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पिछले लंबे समय से रूस और यूक्रेन में चले युद्ध के बीच धर्मशाला में मंगलवार को मूल रूप से रूस का एक युवक और यूक्रेन की एक युवती विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए।
पिछले लंबे समय से रूस और यूक्रेन में चले युद्ध के बीच धर्मशाला में मंगलवार को मूल रूप से रूस का एक युवक और यूक्रेन की एक युवती विवाह के पवित्र बंधन में बंध गए। दोनों देशों के बीच तनाव के माहौल के बीच रूसी दूल्हे और युक्रेनी दुल्हन के विवाह को लोगों की ओर से खूब सराहा जा रहा है। हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ यह प्रेमी जोड़ा जन्मों-जन्मों के लिए एक दूसरे का हो गया है।
मूल रूप से रूस का रहने वाला लड़का (अब इजरायली राष्ट्रीयता ले चुका है) सिरगी नोविका दूल्हा बनकर बारात लेकर आया। दूल्हे के साथ आए बाराती पारंपरिक बैंड-बाजा पर झूमते हुए आए। वहीं, दुल्हन की बहनों और सहेलियों ने गेट पर रिबन कटवाने के बदले शगुन लेकर ही दूल्हे और अन्य बारातियों को मंडप स्थल तक आने दिया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्थानीय पंडित रमन शर्मा ने विवाह मंत्र पढ़ा। मंत्रोच्चारण संग जोड़े ने सात फेरे लिए। इस दौरान नारायण मंदिर दिव्य आश्रम खड़ौता में नवविवाहित जोड़े ने आशीर्वाद प्राप्त किया।
सिरगी नोविका और यूक्रेन की रहने वाली एलोना ब्रामोका की भारतीय हिंदू रिति-रिवाजों व परंपराओं के साथ शादी हुई। सिरगी और एलोना ने बताया कि उन्होंने एक बार हिंदू रीति-रिवाज से होने वाला विवाह देखा था। हिंदू धर्म की परंपराओं और मूल्यों से वे काफी प्रभावित थे।
उसी समय उन्होंने खुद की शादी भी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार करने का फैसला लिया था है। दिव्य आश्रम खड़ौता व क्षेत्र के प्रसिद्ध पंडित संदीप शर्मा के सानिध्य में विवाह हुआ, जबकि विनोद शर्मा व उनके परिवार ने कन्यादान कर सभी वैवाहिक कार्यक्रम को पूर्ण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पंडित रमन शर्मा ने बताया कि युवक-युवती और उनके साथ आए संबंधियों में सनातन परंपरा के प्रति लगाव की भावना देखकर वह काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि आज के भागमभाग के समय में दूल्हा-दुल्हन या उनके परिजनों की ओर से लगातार पूछा जाता है कि इन रस्मों को पूरा करने में और कितना समय लगेगा। इसके उलट सिरगी-एलोना और उनके साथ आए संबंधियों ने एक बार भी जल्दबाजी नहीं दिखाई। उन्होंने हर रस्म को पूरा समय लेकर निभाया। उन्होंने बताया कि सनातन का प्रभाव देखकर उन्हें भी काफी संतोष हुआ।
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