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सोलन: अरबों रुपए की लागत से निर्मित परमाणू -शिमला एनएच-5 (फोरलेन) की बची हुई सडक़ को अब ‘तिरपाल’ व टोटकों के सहारे बचाने का जुगाड़ निर्माण कंपनी ने विकसित किया है। इस फोरलेन की गुणवत्ता व तकनीक को लेकर सभी तरफ से प्रश्न चिन्ह उठ रहे हैं, किंतु अब निर्माण कार्य में लगी कंपनी ने अपनी शेष बची लाज को बचाने के लिए धंसने वाली सडक़ पर तिरपाल बिछाने शुरू कर दिए हैं। इसके साथ-साथ कंपनियों के अधिकारियों ने स्थानीय जनता के साथ मिलकर देवता की शरण व टोटकों का सहारा भी लेना शुरू किया है। अधिकारियों ने पीर ख्वाजा को भी याद किया।
फोरलेन कंपनी ने सोलन चंबाघाट बाइपास की सडक़ पर एक बड़ा तिरपाल बिछा दिया है। यहां एनएच पर ‘कारवास’ के समीप करीब चार फुट सडक़ धंस गई है। धीरे-धीरे यह दरार बढ़ती जा रही है। सडक़ की दरार को सीमेंट बजरी से भरने या डंगा लगाने की बजाय तिरपाल बिछा दिया है।
लगातार लैंड स्लाइडिंग से परेशानी
परवाणू-शिमला फोरलेन निर्माण कार्य शुरू से ही कथित विवादों में रहा है। पहले इसका निर्माण बार-बार पहाडिय़ों से मलबा गिर जाने के कारण निर्धारित समयविधि में नहीं हो पाया। पहले कुमारहट्टी के पास पूरी सडक़ बह गई तथा बीते कुछ दिनों से चक्की मोड़ पर एनएच जमींदोज हो गया। अब जुगाड़ तंत्र व पूजा पाठ करके किसी तरह इस 800 करोड़ के फोरलेन पर ट्रैफिक को चलाने के प्रयास किया जा रहे हैं।