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शिमला: हैंडलूम-डे पर सोमवार को हिमक्राफ्ट द्वारा आयोजित हस्तशिल्प प्रदर्शनी में कई जिलों के हथकरघा उत्पादों ने लोगों का ध्यान खींचा। सबसे अलग था एक लाख रुपए कीमत का ऐसा रुमाल, जो बेचने के लिए भी नहीं था। चंबा में कपड़ों पर की गई कलाकृति दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस प्रदर्शनी में चंबा की हीना ने चंबा की लोकप्रिय कला को पेश किया। इस कला को साल 2008 में जीआई (जियोग्राफिकली इंडीकेशन) टैग भी मिला है। इस कला में कपड़े पर रंग-बिरंगे धागों से कलाकृति की जाती है। इस काम को हाथों से किया जाता है, जिस कारण इस काम में काफी मेहनत लगती है। इनके द्वारा बनाए गए इन रुमालों की कीमत भी बहुत ज्यादा होती है। इसमें एक रुमाल की कीमत एक लाख तक भी है।
यहां रखा एक लाख की कीमत का रुमाल बेचने के लिए उपलब्ध नहीं था। रिज में हिमक्राफ्ट द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में हिमाचल के कई जिलों से हस्तशिल्पकार पहुंचे हैं। इसी में एक हैं चंबा के छतराड़ी के मूर्तिकार मंजीत कुमार। यह कारीगर पत्थर की मूर्तियों का काम करते हैं। इनके द्वारा बनाई गई ज्यादातर भगवान की मूर्तियां और शिवलिंग हैं। वहीं कांगड़ा के बैम्बू आर्ट और बिलासपुर के पॉटरी आर्ट का प्रदर्शन ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया। लाहुल-स्पिति के शीप वूल और याक वूल से बने जुराबों का भी प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी में हिमाचल के खान पान का भी प्रदर्शन किया गया। बता दे कि ये कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें यहां लोग आकर खरीदारी भी कर सकते हैं। (एचडीएम)
बांस की बोतलें और कप पसंद आए
इस प्रदर्शनी में कांगड़ा और आसाम के बैम्बू आर्ट का प्रदर्शन भी किया गया। बैम्बू आर्ट में आसाम के स्टाल पर बांस से बनी बोतलें और कप को प्रदर्शित किया गया। इन कलाकारों के द्वारा विभिन्न प्रकार की चित्रकारी को भी प्रदर्शित किया गया। वही कांगड़ा के बैम्बू आरट को विजय महरा ने अपने स्टाल में प्रदर्शित किया। मंदिर-पक्षियों के आर्ट को बनाया गया है।
मिट्टी के बरतनों ने अपनी ओर खींचे लोग
प्रदर्शनी में बिलासपुर के मिट्टी की कलाकृति ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया। इस स्टाल पर मिट्टी के बरतनों को लाइव डेमो दिखाकर बनाया जा रहा था। मुख्यमंत्री भी यहां पर चाक पर मिट्टी के बरतन बनाने में अपने हाथ आजमाते दिखे। यह स्टाल बिलासपुर के अरुण गुलेरिया का है। इस स्टाल पर मिट्टी से बने अलग-अलग बरतन रखे गए हैं।
पाइन नीडल कलाकृतियों ने चौंकाए
हिमक्राफ्ट द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में पाइन नीडल आर्ट का प्रदर्शन किया गया। स्वयं सहायता समूह कंडाघाट द्वारा इसका स्टाल वहां पर लगाया गया था। इस स्वयं सहायता समूह में पचास से ज्यादा महिलाएं शामिल है। महिलाओं द्वारा हाथ से बने ऊन के जुराब, राखी और आचार भी बेचे जाते हंै। स्टाल पर उपस्थित मंजू और अनीता के अनुसार इनके ग्रुप से जुड़ी महिलाएं हर महीने पंद्रह हजार रुपए तक कमाती हंै।