हिमाचल प्रदेश

कोटली में मंडी तक निर्माण कंपनी की मनमानी

Shreya
12 Aug 2023 6:53 AM GMT
कोटली में मंडी तक निर्माण कंपनी की मनमानी
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कोटली: कोटली उपमंडल के तहत बन रहे एनएच 003 ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इस नेशनल हाईवे के बनने से लोगों को लग रहा था की सहूलियत मिलेगी। जिस वजह से लोगों ने आज तक इस रोड का कार्य करने वाली कंपनी को और उनके कर्मचारियों को कोई भी विरोध या मुश्किलात का सामना नहीं करना पड़ा। परंतु जिस तरह से बेतरीब तरीकों से रोड की कटिंग की गई। जिससे हर आने जाने वाले को मुश्किलों का सामना करना पड़ा । इस कार्य को करने वाले ठेकेदार कंपनी ने तल्याहड से लेकर लागधार तक जगह-जगह कटिंग का कार्य शुरू कर दिया। जिस बजह से आने जाने वाले, कोटली बाजार के लोग सभी तुंगल क्षेत्र की जनता परेशान रही, लोगों ने फिर भी सब्र रखा, रोड पर बड़े बड़े गड्ढों जिनमे बरसात में पानी कीचड़ भरा रहता है। बाईक और अन्य दोपहिए वाहनों का गुजरना मुस्किल होता है, इन ठेकेदारों को जनता व जन प्रतिनिधियों ने बहुत बार मौखिक व लिखित आग्रह व निवेदन किए किंतु इनके कान में जूं नही रेंगती। वहीं पिछली दिनो बरसात में बेतरीब तरीके से गई कटिंग की वजह से कई घर हवा में लटक गए है।

कोटली से धर्मपुर की तरफ रिटायर्ड अमरनाथ शर्मा का घर हवा में लटका हुआ है, उनकी गोशाला और बाथरूम न की कटिंग की वजह से हुई लैंडस्लाइड का शिकार हो गई। सीनियर सिटीजन अमरनाथ शर्मा कवि स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाते दिखे और कभी ठेकेदारों के आगे हाथ पैर जोड़ते दिखे प्रशासन के दबाव के चलते एक तरफ तो ठेकेदार ने डंगा लगा दिया किंतु आधे से तो घर बच गया। किंतु रसोईघर और टॉयलेट इसकी भेंट चढ़ गया। वहीं दूसरा मकान लगधार पंचायत के ध्वाली बदेड में राम सिंह पुत्र सुधामा राम का है। जहां पिछले दिनों बरसात में इन्होंने एनएच की कटिंग की और फिर भूल गए जिस वजह से इनके घर के आगे खेत तो मलबे में तबदील हो गए और 7 कमरों के मकान हवा में लटक गया और एक तरफ दरारें पड़ गई जिससे इनका पूरा परिवार रोड पर आने की कगार पर है। पूरी रात परिवार ने अनहोनी के डर से सोया नहीं और इस लैंडस्लाइड की बजह से इन्हे घर से बाहर निकलने का रास्ता भी खाई में तब्दील हो गया है। सूर्या कंपनी के अधिकारी सीधे मुंह बात नही करते मजबूरन इन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई और फिर इन्हें कंपनी ने तिरपाल उपलब्ध करवाए। इसी तरह लगभग इस एनएच के कार्य की वजह से न जाने कितने मकान खतरे में है। जब कभी इस बारे में इनके अधिकारी परवेश देव हुड्डा से फोन के माध्यम से बात करने का प्रयास किया जाएं तो वो फोन उठाते नहीं।

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