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सुंदरनगर: सुकेत रियासत काल के महाराजा गुरुड़ सेन की रानी पन्छमु देई द्वारा भगवान सूर्य नारायण के प्रति अपार श्रद्धा होने के कारण राजमहल के समीप सूरजकुंड मंदिर की स्थापना की गई। कुंड का जल औषधीय गुणों से भरपूर था। रियासत का विलय होने के बाद यह मंदिर सरकार के अधीन चला गया गया। जिसका जिम्मा एसडीएम व तहसीलदार को दिया। जन आस्था का केंद्र सैंकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर आज अपने अस्तित्व को समाप्त करता नजर आ रहा है। मंदिर के सराय भवन के स्तंभ व छत पूरी तरह गिर गए हैं। मुख्य मंदिर भी गिरने की कगार पर है। बताते चलें कि यह मंदिर हिमाचल में दूसरा सूर्य मंदिर है जिसकी स्थापना 1721 ई में हुई थी। यह मंदिर अपने आप में एक अनोखी पहचान रखता था। जनमानस की आस्था को देखते हुए मंदिर के जीर्णोद्धार व देखरेख के लिए सूरज कुंड मंदिर सुधार समिति ने पहल की है। इसके लिए सुधार समिति की ओर से वास्तुविद बीआर राही ने नक्शा भी तैयार कर लिया गया है। जिसको अंतिम स्वरूप देने के लिए बहुत जल्दी समिति की अध्यक्ष डॉ सरला गौतम के प्रतिनिधित्व में प्रशासन व सरकार से मुलाकात करेगी। सूरज कुंड मंदिर सुधार समिति की ओर से संयुक्त रूप में डा. सरला गौतम, आचार्य रोशन, रामपाल गुप्ता रोहित सोनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सुधार समिति मंदिर सहित सराई भवन के लिए लोगों से चंदा एकत्र करेगी और आजीवन सदस्यता अभियान चलाएगी।
समिति की मासिक बैठक में आजीवन सदस्यता शुल्क ग्यारह हजार रुपये निर्धारित किया गया है। इस राशि से सैंकड़ों वर्ष पुराने सूरज कुंड मंदिर का सर्वांगीण विकास किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु समिति को अधिकृत करवाने के लिए प्रतिनिधिमंडल अतिशीघ्र एसडीएम सुंदरनगर के साथ बैठक करेगा। जर्जर हालत में सूरज कुंड मंदिर के जीर्णोद्धार से संबंधित सारी योजना कमेटी ने तैयार कर ली है। मंदिर का जीर्णोद्धार करने के लिए कमेटी की ओर से सभी औपचारिकता पूरी कर दी गई है। इस दौरान कमेटी की ओर से विनीत शर्मा, देवेंद्र कुमार, गौरव सरोचिया, जगदेव पल्टा, सोम कुमार शर्मा, लक्ष्मीधर शर्मा, श्याम लाल गुप्ता, राजेंद्र सोनी, विमलासेन, मुख्य रूप से नगरपरिषद के पार्षद कल्पना शर्मा एवं विनोद सोनी सहित अनेक स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे।