- Home
- /
- राज्य
- /
- हिमाचल प्रदेश
- /
- निजी लक्ष्य को...
हिमाचल प्रदेश
निजी लक्ष्य को राष्ट्रीय लक्ष्य से जोड़कर चुने हुए क्षेत्र में आगे बढ़ें विद्यार्थी: द्रौपदी मुर्मू
Shantanu Roy
20 April 2023 9:32 AM GMT
x
शिमला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विद्यार्थी निजी लक्ष्य को राष्ट्रीय लक्ष्य से जोड़कर चुने हुए क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देश के विकास में अपना योगदान दें। हिमाचल प्रदेश तप, त्याग, अध्यात्म, धर्म और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीरों की पावन भूमि है। इसकी तरफ महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गुरुदेव रबीन्द्र नाथ टैगोर तथा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता आकॢषत होकर यहां पर प्रवास के लिए आए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित 26वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि आज अनेक युवा स्टार्टअप स्थापित करके सफलता के शानदार प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनोवेशन ही इन स्टार्टअप की मुख्य विशेषता है। कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति भवन में फैस्टीवल ऑफ इनोवेशन एंड इंटरप्रिन्योरशिप के दौरान ग्रास रूट इनोवेटर को पुरस्कृत करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय को शोध, इनोवेशन व टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करना चाहिए, ताकि उसका लाभ किसानों को मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य को प्राकृतिक खेती में नए मापदंड स्थापित करने चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि लंबे समय तक देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला का भारतीय जनमानस के हृदय में एक विशेष स्थान है। देश के कई भागों में अचानक ठंड बढ़ने पर लोग अक्सर आम बोलचाल में कहते हैं कि आज मौसम शिमला की तरह हो गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए सतत् विकास लक्ष्य से आगे बढऩा होगा। इसके लिए विश्वविद्यालयों का कत्र्तव्य है कि वह स्थानीय समुदाय की जरूरतों और जलवायु परिवर्तन के कारण सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए शोध व इनोवेशन के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम करे। राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश से प्राकृतिक खेती के लिए कार्य करने वाले पद्मश्री नेकराम शर्मा की सराहना की। वह कई दशकों से किसानों को रसायनमुक्त खेती करने और बीजों की पारंपरिक किस्में अपनाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। महान शिक्षाविद् एवं पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एस. राधाकृष्णन की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने ज्ञानम विज्ञानम सहितम वाक्य को आधार बनाकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को इसका आधार बनाकर गुणवत्ता शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संविधान में कहा गया है कि यह हर नागरिक का मूल कत्र्तव्य है कि वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण यानी सांइटिफिक टैंपर, मानव-वाद यानी ह्यूमनिज्म और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना यानी द स्पिरिट ऑफ इन्क्वायरी एंड रिफॉर्म का विकास करे। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने भी इनक्यूबेशन सैंटर की स्थापना करके युवाओं में इंटरप्रोन्योरशिप की भावना को प्रोत्साहित करने की पहल की है।
राष्ट्रपति ने यहां राष्ट्रीय लेखा परीक्षा तथा लेखा अकादमी शिमला की तरफ से आयोजित भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ संवाद कार्यक्रम में भाग लेते हुए अधिकारियों का आह्वान कि वे संविधान के आदर्शों को बनाए रखते हुए राष्ट्र निर्माण में पूरी निष्ठा एवं प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें। उन्होंने कहा कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के अधिकारियों के रूप में कार्य करना सभी प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए गर्व की बात है। इसके माध्यम से उन्हें जवाबदेही एवं पारदर्शिता के सिद्धांतों को क्रियान्वित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षा के इस सर्वोच्च संस्थान की भूमिका केवल निरीक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि नीति निर्माण में आवश्यक सहयोग प्रदान करना भी है। उन्होंने कहा कि भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग और उसके सक्षम अधिकारियों के माध्यम से नियंत्रक, महालेखा परीक्षक (कैग) इन दोनों ही उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कर रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय एकरूपता एवं जवाबदेही तथा सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा सार्वजनिक संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा की देशभर में व्यापक पहचान है। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी केंद्र और राज्य सरकारों में लेखा और लेखा जांच सुझावों के रूप में बहुमूल्य सहयोग देते हैं और इससे सार्वजनिक नीति निर्माण में भी सहायता मिलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि लेखा परीक्षा का प्राथमिक उद्देश्य त्रुटियां खोजने की बजाय प्रक्रियाओं और नीतियों में सुधार होना चाहिए। इसलिए लेखा जांच की सिफारिशों को स्पष्टता और दृढ़ निश्चय के साथ संप्रेषित करना आवश्यक है ताकि नागरिकों को अधिकतम लाभ प्रदान करने के दृष्टिगत सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के लिए इनका उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों को देश के नागरिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए अपने कार्य में निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमृत काल में भारत को विकास पथ पर अग्रसर करने में वे अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। इस अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मिनिस्टर इन वेटिंग व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक परवीन मेहता, महानिदेशक तथा लेखा परीक्षा एवं लेखा मनीष कुमार सहित प्रदेश सरकार के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
Tagsदिन की बड़ी ख़बरअपराध खबरजनता से रिश्ता खबरदेशभर की बड़ी खबरताज़ा समाचारआज की बड़ी खबरआज की महत्वपूर्ण खबरहिंदी खबरजनता से रिश्ताबड़ी खबरदेश-दुनिया की खबरराज्यवार खबरहिंदी समाचारआज का समाचारबड़ा समाचारनया समाचारदैनिक समाचारब्रेकिंग न्यूजBig news of the daycrime newspublic relation newscountrywide big newslatest newstoday's big newstoday's important newsHindi newsrelationship with publicbig newscountry-world newsstate wise newshindi newstoday's newsnew newsdaily newsbreaking news
Shantanu Roy
Next Story