हिमाचल प्रदेश

प्रदेश उच्च न्यायालय की आबकारी एवं कराधान सचिव-आयुक्त को चेतावनी, ट्रिब्यूनल के आदेश मानें अधिकारी

Gulabi Jagat
10 Dec 2022 9:33 AM GMT
प्रदेश उच्च न्यायालय की आबकारी एवं कराधान सचिव-आयुक्त को चेतावनी, ट्रिब्यूनल के आदेश मानें अधिकारी
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शिमला
प्रदेश उच्च न्यायालय ने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना न करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए हैं कि वह ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना 12 दिसंबर, 2022 से पहले पहले करें। अन्यथा आदेशों की अवहेलना करने के लिए उनके खिलाफ लगने वाले चार्ज का जवाब देने के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हो। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 16 नवंबर, 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत पदोन्नति लाभ देने के आदेश जारी किए थे।
वितीय लाभ भी पदोन्नति की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे । ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई, 1994 से वरिष्ठ सहायक के पद पर, 20 फरवरी, 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर व 12 अगस्त, 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी के तौर पर पदोन्नत तो कर दिया गया, मगर उसको दिए जाने वाले वित्तीय लाभ उसके द्वारा दायर की गई याचिका के पिछले तीन सालों से देने का निर्णय लिया। प्रार्थी ने इस निर्णय के खिलाफ प्रतिवादियों को प्रतिवेदन भेजा, मगर प्रार्थी द्वारा वर्ष 2022 में दायर की गई अनुपालना याचिका के पश्चात 29 अक्तूबर, 2022 को उसके प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशानुसार वह केवल तीन साल के ही वित्तीय लाभ लेने का हक रखता है। हाई कोर्ट ने हैरानी जताई कि आबकारी एवं कराधान आयुक्त प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ गया, जबकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा था कि प्रार्थी के वित्तीय लाभों को केवल तीन साल के लिए ही मान्य किया गया है। जब प्रशासनिक प्राधिकरण ने इस तरह के आदेश पारित नहीं कर रखे थे तो आबकारी एवं कराधान विभाग का कोई ऐसा विशेषाधिकार नहीं बनता था कि वह प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ जाता। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि 12 दिसंबर से पहले पहले प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना की जाए।
22 दिसंबर तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत
नालागढ़ कोर्ट मेंं नकली दवा मामले में गिरफ्तार आरोपियों पर फैसला
दिव्य हिमाचल ब्यूरो—बीबीएन
नकली दवा मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को शुक्रवार को नालागढ़ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से चारों की न्यायिक हिरासत को 22 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया। बतातें चलें कि विगत 22 नबंवर को फार्मा हब बद्दी में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने गुप्त सूचना के आधार पर नकली दवा के कारोबार का भंडाफोड़ करते हुए नामी कंपनियों के नाम से निर्मित नकली दवाओं की बड़ी खेप एक कार से बरामद की थी। उस दौरान हत्थे चढ़े आरोपियों ने पूछताछ में सिक्का होटल बद्दी के पास गोदाम और हनुमान चौक के पास फैक्टरी के बारे में खुलासा किया, जिसके आधार पर दोनों जगह छापामारी की गई और करोड़ों की कीमत की नकली दवाएं, कच्चा माल, मशीनरी ,नामी कंपनियों के ब्रांड नाम से प्रिटेड फायल पेपर ,कार्टन व स्टीकर भी कब्जे में लिए है। इस मामले का हाई कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया है।
प्राधिकरण इस गिरोह के बाकी सदस्यों की भी सरगर्मी से तलाश कर रही है, रॉ मटीरियल के स्पलायर की तलाश में कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा चुकी है। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि नकली दवा मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी मोहित बंसल, अतुल गुप्ता, विजय कौशल और नरेश कुमार को कोर्ट से 22 तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
अवैध कटान पर मुख्य सचिव सहित वन विभाग को नोटिस
विधि संवाददाता—शिमला
प्रदेश हाई कोर्ट ने वन निगम के ठेकेदार द्वारा अनुमति से अधिक पेड़ काटने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव सहित वन विभाग को नोटिस जारी किया है। अदालत ने डीएफओ सलूणी को आदेश दिए है कि वह एक सप्ताह के भीतर पेड़ों के कटान पर रिपोर्ट अदालत को पेश करे। मामले पर सुनवाई तीन जनवरी को निर्धारित की है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कर्म चंद ठाकुर द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए। मामले के अनुसार प्रार्थी ने वन परिक्षेत्र तीसा जिला चंबा के तहत शक्ति जंगल में ठेकेदार द्वारा लगभग 60 देवदार के हरे पेड़ों को काटने का आरोप लगाया है। प्रार्थी का आरोप है कि वन विभाग ने शक्ति जंगल में लगभग 25 से 30 सूखे पेड़ों को काटने का ठेका झगड़ सिंह को दिया था, परंतु उसने सूखे पेड़ों के साथ साथ लगभग 60 हरे पेड़ों को भी अवैध रूप से काट दिया। ठेकेदार ने अतिरिक्त रूप से काटे गए पेड़ों को मार्केट में बेच भी दिया। प्रार्थी ने याचिका में मुख्य सचिव, वन सचिव, डीएफओ सलूनी और ठेकेदार झगड़ सिंह को भी प्रतिवादी बनाया है।
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