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Shimla: पायलट के लिए गग्गल हवाई अड्डेर पर लैंड करवाना चुनौती से कम नहीं
![Shimla: पायलट के लिए गग्गल हवाई अड्डेर पर लैंड करवाना चुनौती से कम नहीं Shimla: पायलट के लिए गग्गल हवाई अड्डेर पर लैंड करवाना चुनौती से कम नहीं](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/07/02/3836378-gaggal-airport1673969176.avif)
शिमला: बरसात का मौसम शुरू होते ही गग्गल हवाई अड्डे पर विमान उतारना पायलटों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। गग्गल हवाई अड्डे पर रनवे छोटा होने के कारण पायलटों को लैंडिंग के दौरान कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण अक्सर खराब मौसम के दौरान गग्गल हवाई अड्डे पर आने वाली उड़ानें रद्द कर दी जाती हैं। माना जा रहा है कि एयरपोर्ट के विस्तार से ऐसी दिक्कतें कम हो सकती हैं। जानकारी के अनुसार, गगल हवाई अड्डे का वर्तमान में 1370 मीटर का रनवे है, विशेषज्ञों के अनुसार, एक विमान को उतारने के लिए 5000 मीटर की दृश्यता की आवश्यकता होती है, जिसे पायलट छोटे रनवे के कारण खराब परिस्थितियों में नहीं ले सकते। मौसम के कारण उनके लिए यहां उतरना मुश्किल हो जाता है। खराब मौसम में भी गग्गल हवाई अड्डे पर लैंडिंग को सक्षम बनाने के लिए सितंबर 2016 में गग्गल हवाई अड्डे पर डॉपलर वेरी हाई फ्रीक्वेंसी ओमनी डायरेक्शनल रेंज (डीवीओआर) स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था।
डीवीओआर को नवंबर 2018 में स्थापित और चालू किया गया था। उम्मीद की जा रही थी कि इस सिस्टम के लगने से पायलटों को खराब मौसम में भी लैंडिंग के लिए पर्याप्त दृश्यता मिलेगी, लेकिन रनवे की लंबाई कम होने के कारण यहां खराब मौसम में लैंडिंग के दौरान पायलटों को जरूरी दृश्यता नहीं मिल पाई। जिसके कारण खराब मौसम में यहां की उड़ानें रद्द करनी पड़ती हैं। गग्गल हवाई अड्डा सभी प्रकार के उपकरणों से सुसज्जित है, लेकिन यहां रनवे की लंबाई कम है। इससे पायलटों को पर्याप्त विजिबिलिटी नहीं मिल पाती, जिससे विमान खराब मौसम में लैंडिंग नहीं कर पाते. गगल एयरपोर्ट के विस्तार के बाद ऐसी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
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