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हिमाचल प्रदेश
Mid-Day Meal परोसने वाले स्कूलों को फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत करवानी होगी रजिस्ट्रेशन
Shantanu Roy
16 Nov 2022 9:37 AM GMT
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बड़ी खबर
शिमला। पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मिड-डे मील यानी मध्याह्न का भोजन परोसने वाले स्कूलों को अब फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड एक्ट-2006 के तहत रजिस्ट्रेशन करवानी होगी। प्रारंभिक शिक्षा विभाग में सभी स्कूलों के ऐसे आदेश जारी किए हैं। स्कूल ऑनलाइन पोर्टल https://foscos.fssai.gov.in/ पर अपनी रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके लिए प्रतिवर्ष उन्हें 100 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। विभाग की मानें तो स्कूलों को पहले ही इसका बजट दे दिया गया है। विभाग ने राज्य के प्रत्येक स्कूल को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन परोसने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही स्कूलों में ऐसी कार्यशालाएं करवाने को कहा गया है, जहां सुरक्षित और पौष्टिक भोजन के महत्व के बारे में शिक्षकों व विद्यार्थियों को जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही स्कूलों में पाठ्यचर्या या सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों के माध्यम से भी उक्त गतिविधि करवाई जा सकती है। स्कूल स्तर पर स्वास्थ्य और कल्याण समन्वयकों और स्वास्थ्य टीमों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और पोषण की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सकता है। विभाग ने सभी स्कूलों को रजिस्ट्रेशन करवा कर इसकी रिपोर्ट भी प्रारंभिक निदेशालय भेजने को कहा है।
कुकिंग कॉस्ट में केंद्र सरकार ने की बढ़ौतरी
प्रदेश में मिड-डे मील यानी पोषण अभियान के तहत कुकिंग कॉस्ट में बढ़ौतरी की गई है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। अब नई कुकिंग कॉस्ट के तहत प्राइमरी के छात्रों को 5.45 रुपए और अप्पर प्राइमरी के छात्रों को 8.17 रुपए प्रति छात्र को नई कॉस्ट के तहत भोजन मिलेगा। इसमें केंद्र सरकार मिड-डे मील के तहत प्राइमरी के छात्रों को 4.91 रुपए बजट खर्च करेगी। इसमें 0.54 हिस्सा हिमाचल सरकार का होगा। वहीं अप्पर प्राइमरी में केंद्र सरकार 7.35 रुपए प्रति छात्र खर्च करेगी। इसमें 0.82 बजट का हिस्सा राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा। महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस बार 9.6 फीसदी कुकिंग कॉस्ट बढ़ाई है। इसके तहत ही अब प्रदेश को मिड-डे मील का बजट जारी किया जाएगा।
विभाग ने केंद्र को बीते मई माह में भेजा था बजट बढ़ाने का प्रस्ताव
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने बीते मई माह में केंद्र सरकार को मिड-डे मील का बजट बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था। विभाग ने तर्क दिया था कि इस महंगाई में मौजूदा कुकिंग कॉस्ट में छात्रों को पौष्टिक आहार देना मुश्किल हो रहा है। इसके बाद केंद्र ने यह बजट बढ़ाया है। प्रदेश के शिक्षक भी सरकार से यह मांग कर रहे थे।
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