हिमाचल प्रदेश

छात्रवृत्ति घोटाला: 22 शैक्षणिक संस्थानों में से 13 में गंभीर अनियमितताएं मिलीं

Shantanu Roy
28 Feb 2023 9:18 AM GMT
छात्रवृत्ति घोटाला: 22 शैक्षणिक संस्थानों में से 13 में गंभीर अनियमितताएं मिलीं
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शिमला। दो सौ पचास करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के घेरे में रहे 22 शैक्षणिक संस्थानों में से 13 में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। यह जानकारी जांच एजेंसी के सूत्रों ने दी। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि जांच से पता चला कि इन 13 संस्थानों ने लगभग 2,000 काल्पनिक छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति ली। उन्होंने कहा कि शेष संस्थानों के खातों और अन्य दस्तावेजों की जांच की जानी बाकी है। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई द्वारा हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ स्थित इन संस्थानों के दस्तावेज, खातों और कंप्यूटर से हासिल डेटा और अन्य संबंधित सामग्री की जांच की गई। उन्होंने कहा कि इस जांच से पता चला है कि छात्रवृत्ति निधि में हेराफेरी की गई और छात्रवृत्ति उन छात्रों के नाम पर ली गई जिनका कोई अस्तित्व नहीं था या वे संस्थानों को छोड़ चुके थे। इन संस्थानों ने छात्रवृत्ति राशि का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त किया। यह घोटाला 2012-13 में तब शुरू हुआ जब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग से संबंधित प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रों के लिए 36 योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति का भुगतान योग्य लाभार्थियों को नहीं किया गया। यह घोटाला लगभग पांच वर्षों तक सामने नहीं आया क्योंकि छात्रवृत्ति के वितरण के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाने वाला व्यक्ति भी राशि की हेराफेरी के लिए जिम्मेदार था। यह मामला 2018 में उन खबरों के बाद सामने आया कि लाहौल और स्पीति जिले में आदिवासी स्पीति घाटी स्थित सरकारी स्कूलों के छात्रों को पिछले पांच वर्षों से कोई छात्रवृत्ति नहीं दी गई।
सूत्रों ने बताया कि जांच से यह बात सामने आयी कि कुछ संस्थानों द्वारा शिक्षा विभाग को गुमराह करने के लिए झूठी संबद्धता दिखाने के लिए जाली लेटरहेड का उपयोग किया गया जो संस्थानों के साथ ही छात्रों का भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने में विफल रहा। सूत्रों के अनुसार, अन्य विसंगतियों में संस्थानों द्वारा छात्रों के आधार नंबर नहीं देना, उन कई छात्रों की छात्रवृत्ति निकालने के लिए एक ही आधार खाते का उपयोग जिनका कोई अस्तित्व नहीं था और राष्ट्रीयकृत बैंकों में फर्जी खाते खोलना था। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 28 करोड़ रुपये से अधिक पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि ऊना, चंबा, सिरमौर और कांगड़ा जिलों में सक्षम निकायों से संबद्धता के बिना एक नाम के तहत चलने वाले नौ जाली संस्थानों में वितरित की गई। प्रमुख आरोपी- उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन अधीक्षक ग्रेड- दो (छात्रवृत्ति वितरण) को गिरफ्तार किया गया और यह पाया गया कि उसकी पत्नी की इन संस्थानों में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। सीबीआई ने 8 मई, 2019 को यहां भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 419, 465, 466 और 471 के तहत एक मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान यह पता चला कि छात्रवृत्ति राशि में से 80 प्रतिशत का भुगतान निजी संस्थानों को किया गया था। अब तक 16 से अधिक व्यक्तियों के खिलाफ मामले में आरोपपत्र दायर किया गया है जिनमें संस्थानों के निदेशक, शिक्षा विभाग के कर्मचारी और बैंक कर्मचारी शामिल हैं।
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