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सचिन पायलट बने गहलोत के गले की फांस, पूर्व मंत्री ने आंदोलन की चेतावनी दी

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे टकराव के बीच पंजाब के पूर्व प्रभारी और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने भी गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि गहलोत के वादे के बावजूद कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी विसंगति पर फैसला नहीं लिया गया। दो दिन पहले ही सीएम गहलोत की अगुआई में कैबिनेट की एक बैठक हुई थी। इसे लेकर हरीश चौधरी का कहना है कि इस मीटिंग में ओबीसी आरक्षण की विसंगति से जुड़े मामले में फैसला होना था, लेकिन जानबूझकर मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाया गया।
पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने चेतावनी दी कि अगर 2018 की भाजपा सरकार के दौरान पूर्व सैनिकों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आरक्षण देने की अनुमति संबंधी नियमों में बदलाव नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा, "इससे ओबीसी कोटे में कटौती हुई है। पूर्व रक्षा कर्मियों के लिए कोटा अलग होना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मैं यह स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इसके लिए सीएम जिम्मेदार हैं, नौकरशाही का इससे कोई लेना-देना नहीं है। मैं एक पारदर्शी व्यक्ति हूं और मुझे समझ नहीं आ रहा है कि सीएम ने इस पर फैसला क्यों टाल दिया।" उन्होंने यह भी मांग की कि कोटे में विसंगतियों को दूर करने पर निर्णय लेने के लिए फिर से एक कैबिनेट बैठक बुलाई जाए।
अशोक गहलोत इस मुद्दे को हल करने का वादा कर रहे हैं, लेकिन यह नाराजगी ऐसे समय में आई है जब पायलट खेमे ने फिर से यह मांग उठाई है। आरक्षण के सवाल पर पायलट खेमे के विधायक मुकेश भाकर ने ट्वीट कर कहा, "अगर सरकार ओबीसी के हित में त्वरित निर्णय नहीं लेती है, तो राज्य में सरकार और पार्टी के खिलाफ जो माहौल पैदा होगा, उसके लिए मुख्यमंत्री खुद जिम्मेदार होंगे। मेरे लिए युवाओं को अधिकार मिलना किसी पद से ज्यादा महत्वपूर्ण है।' वहीं, गहलोत ने सितंबर में वादा किया था कि विसंगतियों को दूर किया जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया था कि विभागीय और कानूनी राय लेकर जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा ताकि भर्तियां न्यायिक प्रक्रिया में न फंसें।
बता दें कि राज्य में अगले 2 महीनों में सरकारी नौकरियों में हजारों भर्तियां होने वाली हैं, इसलिए कोटा अलग करने का आंदोलन जोर पकड़ रहा है। राज्य में चुनाव अगले साल होने हैं। ओबीसी फ्रंट के सदस्य राजेंद्र चौधरी ने कहा कि शिक्षक, कांस्टेबल और अन्य विभागों में 1.5 लाख सरकारी नौकरियां आ रही हैं । यदि यह विसंगति जारी रहती है, तो ओबीसी के युवाओं के लिए मुश्किल होगी।