हिमाचल प्रदेश

आम सभा में पार्षदों के पतियों को लेकर हंगामा, मेयर व महिला पार्षदों के बीच तीखी नोक-झोंक

Shantanu Roy
30 March 2023 12:01 PM GMT
आम सभा में पार्षदों के पतियों को लेकर हंगामा, मेयर व महिला पार्षदों के बीच तीखी नोक-झोंक
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सोलन। पार्षदों के पतियों को लेकर नगर निगम की मेयर व कांग्रेस की 3 महिला पार्षदों के बीच तीखी नोक-झोंक हो गई। मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि मेयर ने तीनों पार्षदों को निलंबित कर बैठक से बाहर जाने का फरमान सुना दिया। तीनों पार्षदों ने मेयर की इस कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। जानकारी के अनुसार नगर निगम की बुधवार को आम सभा थी। निगम के आला अधिकारियों को पहले ही बैठक में हंगामा होने का अंदेशा था। यही वजह थी कि इस बार बैठक की कवरेज करने पर मीडिया पर रोक लगाई हुई थी। अभी बैठक की कार्रवाई शुरू भी नहीं हुई थी कि भाजपा पार्षदों के साथ कांग्रेस की तीनों पार्षदों की मीडिया पर रोक लगाने पर मेयर व डिप्टी मेयर के साथ बहस हो गई। जब यह मामला शांत हुआ तो वार्ड नम्बर-7 की कांग्रेस पार्षद पूजा, वार्ड नम्बर-4 की पार्षद संगीता व वार्ड नम्बर-10 की पार्षद ईशा पराशर ने महिला पार्षदों के पतियों को लेकर नगर निगम द्वारा जारी किए गए फरमान को लेकर मेयर व डिप्टी से जवाबतलबी शुरू कर दी। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोक-झोंक शुरू हो गई। भाजपा पार्षद शैलेन्द्र गुप्ता ने भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया। देखते-देखते ही बैठक में हंगामा शुरू हो गया। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
मेयर पूनम ग्रोवर ने हंगामे के बीच दो टूक कहा कि बैठक की कार्रवाई तभी शुरू होगी जब ये तीनों पार्षद बैठक से बाहर जाएंगी। इसको लेकर भाजपा के पार्षदों ने विरोध भी किया लेकिन उन्होंने कहा कि वह इन पार्षदों को बैठक से निलम्बित कर रही हैं, जिसकी उनके पास पावर है। इसलिए उन्हें बाहर जाना होगा। कांग्रेस पार्षदों का आरोप था कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से उनके साथ व्यवहार किया जा रहा है। इसी का ही परिणाम है कि उनके वार्डों के विकास के लिए 20-20 लाख रुपए का बजट अभी तक जारी नहीं किया गया है। करीब 20 मिनट तक यह हंगामा चलता रहा। विदित रहे कि नगर निगम ने कुछ समय पहले पार्षद पतियों पर निगम के कामकाज में दखल पर रोक लगा दी थी। उस समय इस कार्रवाई को भाजपा के 7 पार्षदों के साथ मिलकर कांग्रेस के 4 पार्षदों द्वारा अक्तूबर माह में अपने ही मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से जोड़कर देखा जा रहा था। इस फरमान के बाद नगर निगम की बैठक हुई थी जिसमें कांग्रेस के चारों पार्षद नदारद रहे थे। इस कारण निगम ने इन पार्षदों को विकास कार्यों के लिए बजट जारी नहीं किया था। नगर निगम की बैठक में हुए हंगामे के बीच कांग्रेस की तीनों पार्षद वाॅकआऊट करने लगी थीं। इसी बीच भाजपा के वरिष्ठ पार्षद कुलभूषण गुप्ता ने बीच-बचाव करते हुए उन्हें कुर्सी पर फिर से बैठा दिया लेकिन इसी बीच फिर से दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू हो गई। वार्ड नम्बर-1 के निर्दलीय पार्षद मनीष कुमार ने भी दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी।
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