हिमाचल प्रदेश

मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में खुलासा, कुनाह खड्ड के पानी में घातक बैक्टीरिया

Gulabi Jagat
4 Feb 2023 9:30 AM GMT
मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में खुलासा, कुनाह खड्ड के पानी में घातक बैक्टीरिया
x
हमीरपुर
उपमंडल नादौन के तहत बहने वाली कुनाह खड्ड के पानी में घातक बैक्टीरिया मिला है। डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में हुई सैंपल टेस्टिंग में इस बात का खुलासा हुआ है। ऐसे में अब स्वास्थ्य महकमा जांच रिपोर्ट निदेशक स्वास्थ्य विभाग को भेजने की तैयारी में है। बैक्टीरिया जांच की रिपोर्ट शिमला भेजी जाएगी। बताया जा रहा है कि माइक्रोबायोलॉजी लैब में लगभग एक दर्जन पानी के सैंपल जांच के लिए लगाए हैं। नादौन के तहत आने वाले लगभग 45 गांवों तक पहुंचे डायरिया के प्रकोप के बाद विभिन्न जगहों से यह पानी के सैंपल एकत्रित किए थे। विभाग रोजाना पानी में सैंपल भर रहा है। लगभग पांच से छह सैंपल की रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य विभाग के पास पहुंची है। इस पानी में घातक बैक्टीनिया मिला है, जो कि इनसान के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है।
पानी में बैक्टीरिया मिलने के बाद अब रिपोर्ट निदेशक स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएगी। इसके बाद मामले में आगामी कार्रवाई होगी। वहीं, लगभग आधा दर्जन सैंपल की रिपोर्ट आना अभी बाकि है। इन सैंपल की रिपोर्ट का भी इंतजार किया जा रहा है। जाहिर है कि नादौन के तहत आने वाले क्षेत्रों में डायरिया फैला हुआ है। स्वास्थ्य महकमे की टीम ने विभिन्न प्रभावित क्षेत्रों से पानी के सैंपल एकत्रित कर माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे थे। लगभग आधा दर्जन सैंपल की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरके अग्निहोत्री का कहना है कि सैंपल की रिपोर्ट सही नहीं है। सारी रिपोर्ट तैयार कर निदेशक स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएगी।
दो और लोग निकले डायरिया पीडि़त
उपमंडल नादौन में फैले डायरिया मामले में शुक्रवार को दो लोग संक्रमित निकले हैं। ऐसे में संक्रमितों का कुल आंकड़ा 1007 हो गया है। राहत इस बात की है कि अधिकांश संक्रमित ठीक हो चुकी है। रिकवर होने वालों का आंकड़ा 968 है, जबकि अभी भी 39 एक्टिव मामले चल रहे हैं। विभाग 57 गांवों की स्क्रीनिंग कर चुका है। चार संक्रमित अस्पतालों में उपचारधीन हैं।
बड़सर-टौणीदेवी-सुजानपुर का पानी भी दूषित
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला के विभिन्न स्वास्थ्य खंडों से भरे गए पानी के सैंपल में बड़सर, टौणीदेवी व सुजानपुर का पानी भी दूषित पाया है। विभाग ने इस बारे में खंड विकास अधिकारियों को सूचित किया है तथा निर्धारित मापदंड पूरा करवाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, पानी की गुणवत्ता सही न होने के बारे में प्रशासन को भी अवगत करवाया है।
अवैध खनन पर एफआईआर
स्टाफ रिपोर्टर—हमीरपुर
उपमंडल नादौन के तहत आने वाले क्षेत्रों में फैले डायरिया मामले में पुलिस ने खनन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कुनाह खड्ड में निरीक्षण के दौरान पुलिस को कई जगहों पर गड्ढे मिले हैं। आशंका यह जताई जा रही है कि इन गड्ढों में भरे गंदे पानी के स्रोत में रिसने की वजह से ही डायरिया फैला है। गड्ढों में जमा गंदगी बरसात के पानी की वजह से निकलकर पानी के स्रोत में जाकर मिली है। इसी वजह से नादौन का एक बड़ा क्षेत्र डायरिया के चपेट में आया है। भयंकर रूप से फैले डायरिया की रोकथाम के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है। पुलिस ने अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर काम बनाया है। कुनाह खड्ड में पुलिस टीम ने ड्रोन के माध्यम से ही क्षेत्र की निगरानी की है। इस निगरानी में भी दो ट्रैक्टर खनन करते हुए पकड़े गए हैं। एसपी हमीरपुर डा. आकृति शर्मा का कहना है कि अवैध खनन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर फटकार
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मापदंडों को पूरा न करने पर जल शक्ति विभाग और जलप्रबंधन निगम को लिया आड़े हाथ
विशेष संवाददाता—शिमला
प्रदूषण बोर्ड ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर जलशक्ति विभाग और जलप्रबंधन निगम को फटकार लगाई है। बोर्ड ने तय मापदंडों को पूरा न करने पर संज्ञान लिया है। हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि निर्धारित मापदंडों का अनुपालन नहीं करने से जलस्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार बद्दी के समीप सिरसा नदी, मारकंडा नदी, ब्यास नदी, अश्वनी खड्ड, गिरि नदी और पब्बर नदी के प्रदूषित भागों का कायाकल्प करने के लिए वर्ष 2019-20 में कार्य योजना तैयार की गई थी। एसजेपीएनएल और जलशक्ति विभाग को एनजीटी के निर्देशों के अनुसार कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता थी। जलशक्ति विभाग राज्य के मुख्य शहरी क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में 99.97 एमएलडी क्षमता के 70 एसटीपी का संचालन कर रहा है। इसके अलावा एसजेपीएनएल के पास 26.06 एमएलडी क्षमता के छह एसटीपी हैं, जिन्हें स्तरोन्नत करने की आवश्यकता है। हालांकि, अश्वनी खड्ड के प्रदूषित नदी खंड का कायाकल्प नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के अनुसार किया जा रहा है।
प्रदूषकों की सघनता को कम करने के लिए अश्वनी खड्ड के जलग्रहण क्षेत्र की जैव उपचारात्मक प्रक्रिया को भी तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड नियमित रूप से उपचारित अपशिष्ट जल का निरीक्षण, निगरानी और सैंपल भी एकत्रित कर आवश्यकता पडऩे पर नियामक कार्रवाई करता है। संजय गुप्ता ने कहा कि इन गैरअनुपालन वाले एसटीपी के अनुचित संचालन और कामकाज के संबंध में संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं और प्राथमिकता के आधार पर संशोधन, उन्नयन, विस्तार और निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा एसटीपी के संचालन में सुधार की आवश्यकता है और मल निकासी प्रबंधन प्रणाली के संवद्र्धन कार्य में तेजी लाने की जरूरत है, जो कि नदियों के पानी की गुणवत्ता और राज्य के प्राकृतिक जलीय संसाधनों को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही संबंधित विभाग के साथ समीक्षा बैठक की जाएगी। बोर्ड ने प्रधान सचिव, शहरी विकास और सचिव जलशक्ति विभाग से भी इस मामले में उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।
Next Story