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केंद्रीय विवि के शोधार्थियों ने तैयार किया रसायन, रंगों की पुताई के बाद खराब नहीं होंगी दीवारें
न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के शोधार्थियों ने इस्तेमाल करने के बाद खराब हो चुकी कॉम्पेक्ट डिस्क(सीडी) के पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक से एक रसायन तैयार किया है। यह रंगों में मिलाने पर अपना काम कर रहा है।
अब रंगों से पुताई के बाद दीवारें जल्द खराब नहीं होंगी। कम लागत में पक्का टिकाऊ रंग लगेगा। रंगाई-पुताई के बाद दीवारें धूल साफ करने के बाद ही जस की तस साफ हो जाएंगी। केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के शोधार्थियों ने इस्तेमाल करने के बाद खराब हो चुकी कॉम्पेक्ट डिस्क(सीडी) के पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक से एक रसायन तैयार किया है। यह रंगों में मिलाने पर अपना काम कर रहा है। यह शोध केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के रसायन और पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दीपक पंत ने शोधार्थी डॉ. अन्विता शील के साथ मिलकर संयुक्त रूप से किया है। प्रो. दीपक पंत ने पॉलीकार्बोनेट से इपोक्सी की तरह रसायन बनाया है।
इपोक्सी रंगों को टिकाऊ बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। प्रो. पंत ने बताया कि इसे ग्लिसरिन का इस्तेमाल कर बनाया गया है। ग्लिसरिन सस्ता उत्पाद है। यह जैव और हरित पदार्थ है। यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक नहीं है। सीडी, टप्परवेयर आदि कई पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक उत्पादों के व्यर्थ हो जाने की स्थिति में इनका इस तरह से पुनर्चक्रण किया जा सकता है। इसके दो लाभ हैं, एक तो व्यर्थ प्लास्टिक पदार्थों को ठिकाने लगाने का यह आसान तरीका है। दूसरा इससे महंगे रसायनों के स्थान इस सस्ते केमिकल का इस्तेमाल कर लोग अपनी दीवारों पर पक्का टिकाऊ रंग कर पाएंगे। यह ऐसा रंग होगा कि धूल साफ करने के बाद दीवारें दोबारा चमक उठेंगी।