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हिमाचल प्रदेश
दहलीज पर पहुंच भाजपा को मिला दरवाजा बंद, जानिए कैसे…
Gulabi Jagat
9 Dec 2022 3:30 PM GMT
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नाहन, 09 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में चुनाव की आचार संहिता (Code of conduct) लागू होने से पहले भाजपा (BJP) ने हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) का दर्जा देने का मास्टर स्ट्रोक (master stroke) खेल दिया, लेकिन इसके किंतु व परंतु नजर अंदाज कर दिए गए। वैसे तो ट्रांसगिरि क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्र श्री रेणुका जी व शिलाई में मास्टर स्ट्रोक खेलने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा है। एक पक्ष का यह भी मानना है कि भाजपा चुनाव जीत की दहलीज पर पहुंच कर हारी है।
दलील ये भी है कि हाटी के मुद्दे ने भाजपा प्रत्याशियों (BJP Candidates) को जीत की दहलीज पर तो पहुंचा दिया, लेकिन प्रवेश द्वार बंद मिला। भाजपा इस मुद्दे को लेकर "मुंगेरी लाल का हसीना सपना" देख लिया था जो धराशायी होना ही था। शिलाई में भाजपा को 382 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा, जबकि श्री रेणुका जी में 860 मतों से हार मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मुद्दा पूरी तरह से प्रभावी होता तो भाजपा को बंपर विजय हासिल होती।
नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan Assembly Constituency) में तो भाजपा को नुकसान का सामना भी करना पड़ा। गुर्जर बिरादरी इस कारण खफा हो गई कि अनुसूचित जनजाति की आबादी बढ़ने से आरक्षण में नुकसान होगा। ओबीसी वर्ग में भी इसे अन्यथा लिया।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि विधानसभा चुनाव (assembly elections) में सिरमौर में हाटी मुद्दा फेल हो गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) के करीबी बलदेव तोमर को भी हार सामना करना पड़ा। तोमर का तो राजीनतिक कैरियर ही खतरे में पड़ गया है। गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा देने का ऐलान कर भाजपा समझ बैठी कि सिरमौर में करिश्मा हो जायेगा। शिलाई व श्री रेणुका जी तो हार ही गए साथ ही पच्छाद में हाटी के मुद्दे ने नहीं बल्कि कांग्रेस में बगावत ने भाजपा की नैया को पार लगाया। बता दे कि पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र का आधा हिस्सा गिरिपार इलाके में है। पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र (Paonta Sahib Assembly Constituency) की 14 पंचायत गिरिपार में है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) के निर्णय के मुताबिक चार विधानसभा क्षेत्रों शिलाई, रेणुका जी, पांवटा साहिब व पच्छाद में 1.60 लाख हाटी समुदाय की आबादी लाभान्वित होगी। हाटी समुदाय की अधिकतम आबादी शिलाई व रेणुका जी क्षेत्र में ही आती हैं। उम्मीद की जा रही थी यहां हाटी फैक्टर चलेगा, लेकिन कांग्रेस ने भाजपा को चारों खाने चित कर दिया, मगर नतीजा सामने है।
शिलाई से कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन चौहान जीत का सिक्सर लगाने में कामयाब हुए तो रेणुका जी से विनय कुमार ने जीत की हैट्रिक लगाई। हालांकि, भाजपा के लिए राहत की बात यह रही कि पांवटा साहिब से सुखराम चौधरी व पच्छाद से रीना कश्यप चुनाव जीत गईं, लेकिन इन क्षेत्रों में हाटी समुदाय की आबादी कम है। राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जिला में हाटी फैक्टर नहीं चला।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने चुनावी रैलियों में हाटी के मुद्दे को खूब भुनाया था। यहां तक कि गिरिपार क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में भी प्रत्याशियों ने पूरे चुनाव प्रचार में इसे केंद्र सरकार की बड़ी सौगात बताया, लेकिन भाजपा की सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के करीबी बलदेव तोमर ने चुनाव प्रचार में मुद्दे को जोरशोर से उठाया गया था।
Gulabi Jagat
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