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हिमाचल प्रदेश
बरसात का दौर हिमाचल के लिए कहर साबित, 156 की मौत, 600 करोड़ से ज्यादा नुकसान
Gulabi Jagat
5 Aug 2022 5:39 AM GMT
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बरसात का दौर
शिमला: बरसात का दौर (rain in himachal) हिमाचल के लिए कहर साबित हो रहा है. 29 जून से लेकर अब तक राज्य में विभिन्न हादसों में 156 लोगों की (156 people died in himachal) मौत हो चुकी है. विभिन्न हादसों में अब तक 293 लोग घायल हुए हैं. साथ ही लोक निर्माण विभाग व अन्य विभागों को 600 करोड़ रुपए से अधिक (600 crore loss due to rain in Himachal )का नुकसान हुआ है. हाल ही में ऊना जिले में 7 लोगों की डूबने से मौत हुई है.
सड़क हादसों में 79 लोगों की मौत: सड़क हादसों में 79 लोगों की जान जा चुकी है. इसके अलावा सांप के काटने से भी 16 लोग मौत का शिकार हो गए. सर्पदंश के सबसे अधिक केस कांगड़ा जिले से आ रहे. यहां 6 लोग सांप के काटने से जान से हाथ धो बैठे हैं. बारिश के कारण सड़क हादसों में सबसे अधिक कुल्लू जिले में 18 लोगों ने जान गंवाई. डूबने से प्रदेश भर में 18 लोगों की मौत हुई है. पेड़ों व ऊंचाई वाले स्थानों से गिर कर 24 लोग जान गवां चुके हैं. विभिन्न हादसों में अकेले शिमला जिले में 25 लोगों की मौत हुई वहीं, कुल्लू जिले में 22 लोगों की मौत हो गई.
हर साल होता नुकसान: हर साल हिमाचल प्रदेश में बरसात के समय जान और माल की भारी क्षति होती है. बारिश के कारण भूस्खलन व रोड खराब होने के कारण वाहन दुर्घटनाएं होती है. अभी भी राज्य में सबसे अधिक 79 मौतें वाहन हादसों में ही हुई हैं. कुल्लू जिले में बस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई. शिमला जिले में वाहन दुर्घटना में 13 व चंबा में 10 लोगों की मौत हुई है.
600 करोड़ से ज्यादा नुकसान: बरसात के कारण अभी तक हिमाचल प्रदेश में लोक निर्माण विभाग को 323 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है. ये नुकसान सड़कों व पुलों के क्षतिग्रस्त होने से हुआ. इसी प्रकार जलशक्ति विभाग की पेयजल व सिंचाई योजनाओं को 264 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका. कुल नुकसान 603 करोड़ 44 लाख का हो चुका है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार क्षतिग्रस्त सड़कों पुलों, पेयजल व सिंचाई योजनाओं को ठीक करने के आदेश जारी किए गए. वहीं, राज्य सरकार ने ये फैसला भी लिया है कि मौसम की स्थिति को देखते हुए संबंधित जिले के शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर स्कूल बंद करने के लिए अधिकृत हैं. ग्रामीण इलाकों के छोटे स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए ये फैसला लिया गया है.
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