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हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में 3 दिन बारिश-बर्फबारी, जनजातीय भागों में शीतलहर और बढ़ने की संभावना
Deepa Sahu
29 Nov 2021 2:18 PM GMT
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हिमाचल प्रदेश में मौसम फिर बिगड़ने वाला है।
हिमाचल प्रदेश में मौसम फिर बिगड़ने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने प्रदेश में तीन दिनों तक बारिश-बर्फबारी की संभावना जताई है। प्रदेश के कई मैदानी भागों में एक से तीन दिसंबर तक बारिश की संभावना है। वहीं, मध्य पर्वतीय व उच्च पर्वतीय भागों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। केंद्र ने दो दिसंबर को मध्य व उच्च पर्वतीय कुछ भागों के लिए येलो अलर्ट भी जारी किया है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम में यह बदलाव आने की संभावना है। 30 नवंबर को प्रदेश में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है।
वहीं, सोमवार को प्रदेश के अधिकतर भागों में मौसम साफ बना रहा। उधर, रविवार को केलांग का न्यूनतम तापमान माइनस 4.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में तापमान शून्य तक पहुंच गया है। इससे कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लाहौल-स्पीति जिले के पानी के स्रोत जमने लगे हैं। कल्पा का न्यूनतम तापमान माइनस 0.9, शिमला 6.4, सुंदरनगर 2.6, भुंतर 2.9, धर्मशाला 8.2, ऊना 7.2, नाहन 13.0, पालमपुर 6.0, सोलन 4.3, मनाली 1.2, कांगड़ा 7.2, मंडी 5.0, बिलासपुर 7.0, हमीरपुर 5.6, चंबा 4.2, डलहौजी 5.7, कुफरी 4.2 और पांवटा साहिब का 8.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अधिकतम तापमान
उधर, सोमवार को ऊना में अधिकतम तापमान 26.6, बिलासपुर में 24.0, कांगड़ा में 23.2, सोलन में 23.0, हमीरपुर में 22.4, नाहन में 22.0, चंबा में 21.1, मंडी में 20.2, धर्मशाला में 18.2,शिमला में 17.1, कल्पा में 14.0, केलांग मतें 10.5 और डलहौजी में 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।
प्यास बुझाने को रिहाइशी इलकों में आ रहे वन्य जीव
उधर, साइबेरिया के नाम से विख्यात जनजातीय क्षेत्र लाहौल घाटी में कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव कड़ाके की ठंड में रिहायशी इलाकों में आने लगे हैं। सर्दी शुरू होते ही साढ़े आठ हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर पाए जाने वाले वन्य जीव कई रिहायशी इलाकों के आसपास देखे जा सकते हैं। इन दिनों लाहौल के पहाड़, झरने व नाले जमना शुरू हो गए हैं। अब वन्य जीव प्यास बुझाने के लिए घाटी के कई क्षेत्रों में रिहायशी इलाकों के आसपास नदी व नालों में देखे जा रहे हैं। ऐसे में लाहौल वन विभाग ने इन वन्यजीवों की सुरक्षा को कमर कस ली है। घाटी में महिलाओं की सख्ती के कारण वन विभाग व पुलिस के पास शिकार का पिछले कई सालों से कोई भी मामला नहीं है।
लाहौल वन मंडल के अंतर्गत वन रेंज तिंदी, उदयपुर, पट्टन वन परिक्षेत्र जाहलमा और केलांग ने वन्य जीवों की सुरक्षा और वनों में आगजनी जैसे घटनाओं को लेकर पेट्रोलिंग तेज कर दी है। भले ही यहां वन क्षेत्र कम हो, लेकिन क्षेत्रफल के लिहाज से यह जिला प्रदेश में सबसे बड़ा है। लाहौल वन मंडलाधिकारी दिनेश शर्मा ने बताया कि वन्य जीवों की सुरक्षा एवं वनों में आगजनी जैसे घटनाओं पर नजर रखने के लिए वन विभाग के कर्मचारी नियमित गश्त पर तैनात कर दिए हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह प्यास बुझाने के लिए निचले क्षेत्रों की ओर आने वाले वन्य जीवों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए।
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