हिमाचल प्रदेश

पुलिस की CR पर सवाल, सैनिटाइजर आपूर्ति दिखा शराब फैक्ट्री को दिया ENA

Gulabi Jagat
27 Dec 2022 5:07 PM GMT
पुलिस की CR पर सवाल, सैनिटाइजर आपूर्ति दिखा शराब फैक्ट्री को दिया ENA
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नाहन, 27 दिसंबर : सैनिटाइज़र आपूर्ति की आड़ में शराब फैक्ट्री को एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल बेच दिया गया। मामले में कालाअंब पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट (CR) को राज्य कर और आबकारी विभाग (STED) नागवारा गुजरी है। साथ ही जांच के तरीके पर भी सवाल उठाया गया है।
विभाग ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट (CR) पर न केवल आपत्ति जताई है, बल्कि जांच अधिकारी के खिलाफ एक्शन भी मांगा है। विभाग की टीम ने फरवरी 2022 में सैनिटाइज़र आपूर्ति के फ़र्ज़ी ई-वे के बिल डिटेक्ट किए थे।
विभाग ने पाया था कि डच फॉर्म्युलेशन ने अंबाला की सहयोगी कंपनी डेनिश लैब ने धर्मशाला में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Chief Medical Officer) के कार्यालय और पपरोला स्थित राजीव गांधी आयुष मेडिकल कॉलेज को सैनिटाइजर की बिक्री दर्शाई है, जबकि वास्तव में आपूर्ति हुई ही नहीं थी। सीएमओ कार्यालय व पपरोला कॉलेज ने सैनिटाइज़र के स्टॉक का ऑर्डर नहीं दिया था। विभाग के सामने सवाल था कि जब सैनिटाइज़र की आपूर्ति नहीं हुई थी तो ई-वे बिल क्यों बनाये गए है। खुलासा हुआ कि ENA का इस्तेमाल फ़र्ज़ी तरीके से सैनिटाइज़र उत्पादन में दिखाया गया, जबकि वास्तव में इसे शराब फैक्ट्री को सप्लाई किया गया।
सैनिटाइजर की आड़ में डच फॉर्म्युलेशन ने अंबाला की सहयोगी कंपनी डेनिश लैब के साथ मिलकर मंडी के जोगिंद्रनगर में शराब के गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट को अवैध एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल बेचा गया था। इसकी मोटी कीमत वसूली गई।
उल्लेखनीय है कि ये बॉटलिंग प्लांट एक जहरीली शराब प्रकरण में भी शामिल था, जिसमे उत्पादित शराब ने साल के शुरुआत में कई लोगों की जान ले ली थी।
बता दे कि ईएनए (ENA) का इस्तेमाल शराब बनाने में भी होता है। आबकारी विभाग ने 25 फरवरी को कालाअंब में फर्म के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज करवाया था।
जानकारी के मुताबिक विभाग आयुक्त यूनुस ने 7 दिसंबर को सिरमौर के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर जांच अधिकारी (आईओ) के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी। सवाल इस बात पर भी है कि क्लोज़र रिपोर्ट को मंजूरी से पहले पुलिस अधिकारियो ने इसका अध्यन क्यों नहीं किया। विभाग ने ये भी सवाल उठाया है कि जांच में विभाग के कर्मचारियों को क्यों शामिल नहीं किया गया।
पुलिस ने जांच में कहा कि जाली ई-वे बिल बनाए गए थे, धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध प्रथम दृष्टया में बनता है। STED के अधिकारियों ने दावा किया कि इन पहलुओं की जांच की बजाय, आईओ (IO) ने यह दलील दी कि जाली बिल तैयार करने का अपराध कालाअंब के अधिकार क्षेत्र से बाहर था। सितंबर में दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट इस कारण भी अहम है, क्योंकि ये कथित अवैध धंधा ऐसी शराब से जुड़ा था, जिसने कई जाने ले ली थी। विभाग के आयुक्त ने दोषी अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है।
उधर, ये भी जानकारी मिली है कि डच फॉर्मूलेशन के पास न तो सैनिटाइजर बनाने का लाइसेंस था और न ही कंपनी की साइट पर कोई स्टॉक मिला था। निरीक्षण के दौरान ये भी पाया गया कि परिसर में किसी भी प्रकार का उत्पाद तैयार नहीं किया जा रहा था।
उधर, राज्य कर एवं आबकारी विभाग के उपायुक्त हिमांशु पंवार ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि सिरमौर के पुलिस अधीक्षक को आयुक्त के स्तर पर ही पत्र लिखा गया था। उन्होंने कहा कि जहां तक स्थानीय कार्रवाई की बात है तो उन्हें पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती देने के आदेश मिले हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस से ही क्लोजर रिपोर्ट की जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा कि चूंकि क्लोजर रिपोर्ट को अदालत से स्वीकृति हासिल करनी होती है, लिहाजा विभाग अदालत में इसका विरोध करेगा।
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