हिमाचल प्रदेश

सड़कों के निर्माण के लिए केंद्र को 1500 करोड़ की DPR भेजेगा PWD

Shantanu Roy
11 Feb 2023 9:36 AM GMT
सड़कों के निर्माण के लिए केंद्र को 1500 करोड़ की DPR भेजेगा PWD
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सड़कों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग 1500 करोड़ रुपए की डीपीआर को अंतिम रूप देने में जुटा है। पीएमजीएसवाई के तहत तीसरे चरण की दूसरे शैल्फ के तहत यह डीपीआर केंद्र को भेजी जाएगी। विभाग ने 28 फरवरी से पहले 1500 करोड़ की डीपीआर केंद्र को भेजने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन दिनों विभागीय अधिकारी दिन-रात काम में जुटे हैं तथा डीपीआर लगभग बनकर तैयार हो गई है तथा उसकी अब अंतिम स्तर पर जांच की जा रही है ताकि कोई चूक न रह जाए। जानकारी है कि विभाग की तरफ से केंद्र को डीपीआर भेजने के बाद एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें हरेक सड़क के पूरे डाटा की जांच की जाएगी। उसके बाद हिमाचल को सड़कों के लिए केंद्र से राशि मिलेगी। उधर, पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण की पहले शैल्फ में हिमाचल में 45 सड़कों के लिए 422 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से 23 सड़कों के काम अवार्ड हो चुके हैं तथा शेष अगले एक सप्ताह के अंदर अवार्ड हो जाएंगे। इसके बाद मार्च माह के प्रथम सप्ताह में इसका कार्य शुरू हो जाएगा।
पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण में हिमाचल के लिए 3160 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। तीसरे चरण की पहली शैल्फ के कार्यों को अवार्ड करने के बाद अब सरकार व विभाग ने तीसरे चरण की दूसरी शैल्फ के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ने के लिए वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की गई थी। तब से लेकर आज तक गत 21 सालों में हिमाचल प्रदेश में पीएमजीएसवाई के तहत करीब 19917 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है व 2478 बस्तियों को सड़क से जोड़ा गया है। इस साल 96 बस्तियों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब तक मात्र 11 बस्तियों को ही सड़क से जोड़ा जा सका है। पीएमजीएसवाई का तीसरा चरण वर्ष 2026 तक चलेगा। तीसरे चरण में चार लक्ष्यों पर प्राथमिकता से काम होगा। इसमें राज्य के कठिन व बर्फबारी से प्रभावित क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक व आॢथक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। साथ ही पीएमजीएसवाई के तीसरे चरण में 18 फुट तक की चौड़ी सड़कें बनाई जा सकती हैं जबकि पहले व दूसरे चरण में सड़क निर्माण के लिए कनैक्टीविटी तथा अपग्रेडेशन की प्राथमिकता थी।
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