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हिमाचल प्रदेश
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने दायर की थी याचिका, हाई कोर्ट ने ठुकराया वरिष्ठता का चैलेंज
Gulabi Jagat
3 Dec 2022 8:25 AM GMT
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शिमला
लोक निर्माण विभाग में वरिष्ठता और प्रोमोशन को चैलेंज करने वाली याचिका पर उच्च न्यायालय ने अहम फैसला दिया है। इस मामले में भारतीय सेना सेवानिवृत्त होने के बाद लोक निर्माण विभाग ज्वाइन करने और पदोन्नति हासिल करने की प्रक्रिया को चैलेंज किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील दायर करने में हुई देरी को अहम मानते हुए याचिकाकर्ताओं की अपील को ठुकरा दिया। इस केस की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने लगातार पदोन्नति होने के बावजूद याचिका दायर न होने को मुख्य आधार माना है। दरअसल, इस मामले में आर्मी कोटे से 1995 में सिविल इंजीनियर के तौर पर भर्ती हुई थी, लेकिन 2003 में सर्वाेच्च न्यायालय ने नए आदेश पारित किए। इन आदेशों में सैन्य लाभ को एक बार के लिए ही सीमित कर दिया गया।
यह आदेश पारित किए गए कि सेना का लाभ दो बार नहीं मिल सकता है। इस बीच वरिष्ठता लिस्ट में सैन्य कोटे से भर्ती इंजीनियर को सभी लाभ मिलते रहे और 2008 में इन्हें पदोन्नत कर अधिशाषी अभियंता बना दिया गया। इसके बाद 2017 में इनकी पदोन्नति बतौर अधीक्षण अभियंता हो गई। लेकिन इस अवधि के दौरान पदोन्नति से वंचित हुए किसी भी अधिकारी ने कोई याचिका दायर नहीं की। अब लंबी अवधि गुजर जाने के बाद लोक निर्माण के वरिष्ठ अधिकारियों ने पदोन्नति में वरिष्ठता का लाभ न मिल पाने की याचिका हाई कोर्ट में दायर कर दी। हाई कोर्ट की तरफ से दिए आदेश में यह साफ किया है कि अधिकारियों की सुस्ती इस केस में साफ नजर आ रही है। मामले में समय पर याचिका दायर नहीं की गई। अब इस मामले में ऐसा कुछ नहीं बचा है जिस पर हस्तक्षेप किया जाए। ऐसे में संबंधित अधिकारी की वरिष्ठता बरकरार रहेगी। इस फैसले के बाद याचिका दायर करने वाले लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को झटका लगा है।
Gulabi Jagat
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