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Himachal Pradesh,हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय Himachal Pradesh High Court ने आज राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने द्वारा चलाए जा रहे गौ-अभयारण्यों या गौसदनों पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा प्रस्तुत करे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवरण में सटीक स्थिति बताई जाएगी कि राशि का उपयोग और व्यय किस प्रकार किया गया है, क्योंकि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1984 के तहत अपने अधीन लिए गए मंदिरों में दान के रूप में एकत्रित की जा रही राशि का 15 प्रतिशत खर्च कर रही है। सरकार राज्य में बेची जा रही शराब की प्रत्येक बोतल पर ढाई प्रतिशत का उपकर भी लगा रही है।
अदालत ने राज्य सरकार को ‘गौसेवा आयोग’ द्वारा की जा रही गतिविधियों और इसके निर्माण और वित्त पोषण के उद्देश्य का ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी के लुथान गांव में राधेश्याम गौ अभ्यारण्य का दौरा करने तथा निरीक्षण के बाद इसकी स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कांगड़ा के सचिव को भी नियुक्त किया है। न्यायालय ने राज्य को हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि गौ अभ्यारण्य के लिए फिलहाल कोई प्रबंधन समिति क्यों नहीं है तथा इस संबंध में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य कुछ गौ अभ्यारण्यों के निर्माण के संबंध में भी हलफनामा दाखिल करेगा। न्यायालय ने ज्वालामुखी अभ्यारण्य में गायों की दुर्दशा को उजागर करने वाली जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया तथा मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को निर्धारित की है।
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Payal
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