हिमाचल प्रदेश

धर्मपुर में प्राइवेट टीचर दंपति के सपनों का घर टूटा, रोते-रोते बोलीं-पलभर में सब खत्म

Manish Sahu
21 Aug 2023 9:41 AM GMT
धर्मपुर में प्राइवेट टीचर दंपति के सपनों का घर टूटा, रोते-रोते बोलीं-पलभर में सब खत्म
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हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हाल ही हुई बारिश ने जमकर तबाही मचाई. अब इस आपदा के जख्म दिख रहे हैं. मंडी जिले की धर्मपुर तहसील में भीषण तबाही हुई है. कई क्षेत्र तो ऐसे हैं जो पिछले एक हफ्ते से देश दुनिया से कटे हुए हैं. जगह-जगह सड़कें टूटने के बाद हालात इतने खराब हैं कि पटवारी को छोड़ कोई बड़ा अधिकारी, कर्मचारी…यहां तक कि नेता भी मौके पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. कई घर तबाह हो गए हैं, सैकड़ों मकानों में दरारें आ गई हैं.
धर्मपुर के बनाल गांव पर 14 अगस्त को आसमान से आफत टूटी. एक निर्माणाधीन घर जमींदोज हो गया. उसकी जद में कुछ मकान, कई घरों में दरारें आ गईं और अब स्थिति ये है कि पिछले 6 दिनों से पूरे गांव में इस तरह की दहशत है. करीब 60-70 लोग रात के समय अपने घरों को छोड़कर रिश्तेदारों के पास रहने चले जाते हैं. क्यों कि अगर फिर से भूस्खलन हो गया तो पूरा गांव तहस नहस हो जाएगा.
बनाल गांव के 38 साल के सुरेश कुमार और उनकी पत्नी 33 वर्षीय शीला देवी के सपनों का घर कुदरत के कहर से तबाह हो गया. इन्हीं का निर्माणाधीन मकान 14 अगस्त को भूस्खलन की चपेट में आ गया. दोनों पति पत्नी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं. पिछले 7-8 सालों से प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ ट्यूशन पढ़ाकर और दूध बेचकर 6 लाख रुपये इक्ठठा किए थे. डेढ़ लाख रुपये दोस्त से उधार लिए थे और फिर मकान बनाना शुरू किया था. दोनों पति पत्नी स्कूल से आने के बाद घर बनाने के काम में जुट जाते, बच्चों और पशुओं को भी देखते.
शीला देवी ने रोते-रोते बताया कि उनके पति ने घर के लिए पत्थर भी तोड़े. 20 हजार पत्थर घर के लिए तोड़े. दोनों ने निर्माण सामग्री भी कई बार पीठ में उठाई, इतनी कड़ी मेहनत की और पलभर में सबकुछ खत्म हो गया. अब इनके पास घर बनाने तक की जमीन नहीं बची है. अब अंधेरा ही नजर आ रहा है. इनके ठीक नीचे वाला मकान भी बुरी तरह से चपेट में आया है. अब कुछ मनरेगा के तहत तो कुछ अपनी लेबर लगाकर घर को ठीक करने और मलबा हटाने काम करना पड़ रहा है. इनके घरों में भी दरारें आ गई हैं.
बातचीत के दौरान रोने लगे लोग
बनाल पंचायत के रियूर गांव की 52 साल की चंपा अपने घर और जमीन को देखकर फूटफूट कर रो रही हैं. उनके आंख से आंसू सूख ही नहीं रहे हैं, वो कह रहीं है कि इससे अच्छा तो उन्हें मौत आ जाती. जिंदगी भर की कमाई को मिट्टी में मिलता नहीं देखा जा सकता. इनके पति 61 वर्षीय ज्ञान चंद ने बताया कि वो पीडब्लूडी में बेलदार थे. पहले जब दैनिक भोगी बने तो सवा 2 रुपये दिहाड़ी मिलती थी. 12 साल बाद नौकरी पक्की हुई तो 1300 रुपये प्रति महीना तनख्वाह मिलती थी. 45 साल तक नौकरी की, अपना पेट काट काट कर मकान के लिए पैसा जोड़ा. घर बनाने के लिए 8 साल लग गए.
बनाल गांव के 38 साल के सुरेश कुमार और उनकी पत्नी 33 वर्षीय शीला का निर्माणाधीन था.
5 लाख रुपये किसी से कर्ज लिया, जिसमें से आधा पैसा अभी देने को है और 13 अगस्त ऐसा लगा जैसे धरती फटी और घर में बड़ी बड़ी दरारें आ गई. अब घर खाली कर दिया. एक बेटा बेरोजगार है. खुद के हाथ पांव चल नहीं पाते,. कुछ खेत तबाह हो गए और बहुत थोड़ी जमीन बच गई. ज्ञान चंद इतने परेशान हैं कि ज्यादा कुछ बोल नहीं सकते. गांव की सड़क और खेतों में बड़ी बड़ी डरावनी दरारें पड़ गई हैं.
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