हिमाचल प्रदेश

बिजली की संचार लाइनों को ट्रांसमिशन कारपोरेशन के हवाले करने की तैयारी, बिजली बोर्ड में बदलाव के फैसले पर बवाल

Gulabi Jagat
16 May 2023 3:30 PM GMT
बिजली की संचार लाइनों को ट्रांसमिशन कारपोरेशन के हवाले करने की तैयारी, बिजली बोर्ड में बदलाव के फैसले पर बवाल
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शिमला: बिजली बोर्ड के 66केवी से ऊपर की क्षमता वाली संचार लाइनों और उपकेंद्रों को ट्रांसमिशन कारपोरेशन के हवाले करने की तैयारी है। इस प्रक्रिया पर कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। बिजली बोर्ड के विद्युत गृहों को हिमाचल पावर कारपोरेशन के हवाले करने की मुहिम चलाई गई है। इस मुहिम को कर्मचारी संगठन ने 2010 में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं के संयुक्त मोर्चा के साथ हुए त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन करार दिया है। विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि बिजली बोर्ड को कंपनी बनाने के लिए 10 जून, 2010 को हिमाचल सरकार के साथ जो त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। उसके मुताबिक बिजली बोर्ड लिमिटेड के ढांचे के साथ कर्मचारी संगठनों को विश्वास में लिए बगैर किसी किस्म की छेड़छाड़ किया जाना संभव नहीं है। श्री खरवाड़ा ने कहा कि विद्युत बोर्ड लिमिटेड की संचार लाइनों को एचपीपीटीसीएल के हवाले करने से अपनी ही संचार लाइनों पर प्रति यूनिट के हिसाब से व्हीलिंग चार्जेज के रूप में करोड़ों रुपए एचपीपीटीसीएल को अदा करने पड़ेंगे और बिजली बोर्ड के पावर हाउसीज को एचपीपीसीएल के हवाले कर देने के बाद कई गुना महंगी दरों पर बिजली बोर्ड लिमिटेड को एचपीपीसीएल से बिजली खरीदनी पड़ेगी।
इसका सीधा असर बिजली की दरों पर पड़ेगा और राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड जो आज पूरे देश में सबसे सस्ती बिजली दे रहा है, कई गुना महंगी दरों पर बिजली बेचने पर मजबूर होगा। खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रही प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। श्री खरवाड़ा ने कहा 10 जून, 2010 को हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत बिजली बोर्ड के 32000 पेंशनर और लगभग 16000 कर्मचारियों की देनदारियों का निर्वाहन करने की जिम्मेदारी एचपीएसईबी लिमिटेड पर है। बोर्ड का विघटन करने के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तें और सेवानिवृत्ति के लाभ प्रभावित होंगे। बिजली बोर्ड की संपत्तियों का हस्तांतरण सिर्फ एचपीपीटीसीएल और एचपी पीसीएल को बनाए रखने के लिए या सिर्फ उनके बचाव के लिए किया जा रहा है।
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