हिमाचल प्रदेश

यहां कांग्रेस के लिए सत्ता "पहाड़ सी चुनौती"

Gulabi Jagat
9 Dec 2022 2:28 PM GMT
यहां कांग्रेस के लिए सत्ता पहाड़ सी चुनौती
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शिमला, 09 दिसंबर : प्रदेश में कांग्रेस को उसके चुनावी वादों से प्रभावित होकर प्रदेश की जनता ने बहुमत (Majority) प्रदान किया है। मगर सत्ता की डगर पर कई चुनौतियों (The Challenges) से कांग्रेस को पार पाना होगा। इसमें सबसे बड़ी चुनौती 70 हजार करोड़ रुपए के कर्ज तले दबे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों (Employees) को वेतन व पेंशन देना है।
इसके अलावा महिलाओं के खाते में हर माह 1500 रुपए देने की भी चुनौती है। 300 यूनिट बिजली फ्री देना, शिमला के अलावा अन्य जिलों में सेब उत्पादकों व बागवानों की भी बहुत सी समस्याएं हैं। उन्हें उचित मूल्य दिलाना भी सरकार की चुनौतियों में शामिल है। उसे नौकरशाही पर लगाम कसने की कवायद से भी दो-चार होना पड़ेगा, क्योंकि छोटे से प्रदेश में देखा गया है कि नौकरशाही (Bureaucracy) सरकार के कई फैसलों को प्रभावित करती है। गाहे-बगाहे नौकरशाही प्रदेश सरकार की चाटुकारिता कर जनहित नीतियों को धरातल पर सही नहीं उतरने देती।
सरकारी व अर्द्ध सरकारी क्षेत्र में लाखों रोजगार देने का वायदा भी नई सरकार के लिए चुनौती साबित होगा। इन सभी घोषणाओं को पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपए सालाना चाहिए होंगे। केंद्र की विशेष मदद न मिलने की सूरत में नए मुख्यमंत्री के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी। नए मुख्यमंत्री को काबिल आईएएस ऑफिसर (IAS officer) की टीम बनाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी होगी। पिछली कई सरकारों में एक रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर श्रीकांत बाल्दी ने पहले ही कर्मचारियों की भारी नाराजगी से निवर्तमान भाजपा सरकार का काफी नुक्सान किया है।
नए मुख्यमंत्री (New Chief Minister) को वित्तीय मामलों में विशेषज्ञ आईएएस की जरूरत पड़ेगी। साथ ही यह भी देखना होगा कि वह जन विरोधी फैसले लेने के लिए नए मुख्यमंत्री व सरकार को गुमराह न करे। पिछली सरकारों में आईएएस लाॅबी ने अपने वित्तीय लाभ लेने के लिए छोटे कर्मचारियों के साथ काफी नाइंसाफी की। बताया जाता है कि स्व. वीरभद्र के अलावा किसी भी मुख्यमंत्री की आईएएस पर पकड़ ढीली रही है। चाहे ट्रांसफरों के मामले हों या प्रदेश की जनता के हित में नीतियों को लागू करना।
इसके अलावा कांग्रेस की नई सरकार (New Government) को स्थायित्व के लिए अपने विधायकों के बीच आपसी फूट पर भी नियंत्रण रखना होगा, क्योंकि अन्य प्रदेशों में भाजपा कई सरकारों को अस्थिर कर दोबारा सत्ता हासिल करने में महारत हासिल कर चुकी है। जो भी मुख्यमंत्री बनेगा, उसे विधायकों को एकजुट रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यदि गुटबाजी हुई तो चुनावी वादे निभाने तो दूर कार्यकाल पूरा करने का भी समय नहीं मिलेगा।
क्षेत्रवाद व जातिवाद से उठकर समग्र प्रदेश का विकास भी नई सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। मुख्यमंत्री पद के कई तलबगारों को अलग-अलग तरह से एडजस्ट करना टेढ़ी खीर होगी। इसके अलावा मंत्रिमंडल (cabinet) गठन व केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर प्रदेश के लिए केंद्रीय योजनाओं को लेकर आना नए मुख्यमंत्री व सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
Gulabi Jagat

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