हिमाचल प्रदेश

पोलिंग पार्टी पैदल, आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में

Gulabi Jagat
6 Nov 2022 7:28 AM GMT
पोलिंग पार्टी पैदल, आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश में
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शिमला
प्रदेश में आजादी के 75 साल बाद भी कई पोलिंग स्टेशनों के लिए ईवीएम व वीवी पैट मशीनें पीठ पर ही ले जानी पड़ती हैं। इसके लिए चुनाव आयोग की ओर से लेबर का इंतजाम किया जाता हैं, ताकि सही समय पर ईवीएम पोलिंग स्टेशन तक पहुंच सके। प्रदेश में कई पोलिंग स्टेशन ऐसे हैं, जहां के लिए अभी भी पोलिंग पार्टियों को पैदल ही जाना पड़ता हैं। वह भी कई कई किलोमीटर दूर। विधानसभा चुनावों के लिए दस नवंबर को पोलिंग पार्टियां रवाना हो जाएगी। साथ ही इन पोलिंग पार्टियों को ईवीएम व वीवीपैट मशीनें भी प्रदान की जाएगी। (एचडीएम)
10 को रवाना होंगी पोलिंग पार्टियां
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए ईवीएम के माध्यम से 12 नवंबर को मतदान होना है। इसके लिए पोलिंग पार्टियों की रिहर्सल जारी हैं। नौ नवंबर तक अंतिम चरण की रिहर्सल पूरी हो जाएगी। वहीं 10 नवंबर को पोलिंग पार्टियां पोलिंग बूथ के लिए रवाना हो जाएगी। दस नवंबर को ही आरओ व एआरओ की ओर से इन्हें ईवीएम व वीवीपैट मशीनें सौंपी जाएगी। वहीं, 12 नवंबर की सुबह पोलिंग स्टेशन पर ईवीएम इंस्टाल कर दी जाएगी।
चंबा
जिला के चस्क भटोरी पोलिंग स्टेशन तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को 14 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है
शिमला
रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र के 123-पंडार पोलिंग बूथ पर पहुंचने के लिए को सात किलोमीटर का सफर पैदल सफर है
सिरमौर
शिलाई विधानसभा क्षेत्र के 36-बोबड़ी मतदान केंद्र तक पांच किलोमीटर पैदल मार्ग तय करना पड़ता है।
कांगड़ा
जिला में शाहपुर विधानसभा का 23-मांच है जहां पोलिंग पार्टी को 7 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
मंडी
सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र का 93-मंझागण दूरस्थ मतदान केंद्र है, जहां पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है
कुल्लू
129-रसोल और बंजार का 58-शाकटी मतदान केंद्र हैं, जहां तक दस किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।
Gulabi Jagat

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