हिमाचल प्रदेश

धर्मशाला में कैंपस निर्माण लटकाने से आक्रोश में जनता, सियासी षड्यंत्र का आरोप

Gulabi Jagat
21 Feb 2023 11:02 AM GMT
धर्मशाला में कैंपस निर्माण लटकाने से आक्रोश में जनता, सियासी षड्यंत्र का आरोप
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धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए धर्मशाला के जदरांगल में भूमि संबंधित प्रक्रिया में केंद्र की ओर से लगाई जा रही आपत्तियों से हर कोई हैरान है। अब तक चुपी साधे बैठे धर्मशाला, कांगड़ा व शाहपुर सहित आसपास के लोग इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन छेडऩे की तैयारी में हैं। करीब डेढ़ दशक से चल रही सियासी कशमकस के बाद भी धर्मशाला में काम रूकवाने को किए जा रहे सियासी षड्यंत्र से लोगों में नाराजगी बढऩे लगी है। हिमाचल का दिल्ली में प्रतिनिधित्व करने वालों के प्रति भी लोगों में गुस्सा है। क्षेत्र के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और बुद्धिजीवी भी इस मसले पर अब राजनीति करने के बजाए बिना भेदभाव के छात्र हित में निर्णय लेते हुए दोनों स्थानों पर काम शुरू करने की बात कर रहे हैं।
कांगड़ा के विधायक पवन काजल का कहना है कि प्रदेश में सरकार बदलते ही ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार धर्मशाला व देहरा दोनों स्थानों पर भूमि देने और निर्माण कार्य करवाने के लिए समान तरीके से पक्ष रखें और छात्र हित में काम करें, नहीं तो जनता का गुस्सा अच्छा नहीं होता। लग रहा है कि सरकार सत्ता में आते ही कांगड़ा की अनदेखी करने लगी है। उधर, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन फिर से आपत्तियों को दूर करके भेजे। भूमि का समय पर चयन न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले को भाजपा प्रमुखता से उठाएगी। स्कूल शिक्षा बोर्ड के पूर्व सचिव प्रभात शर्मा का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षा का एक बड़ा मंदिर है। ऐसे में बिना किसी भेदभाव के यहां केंद्रीय विवि के निर्माण को मंजूरी देनी चाहिए। उधर, पूर्व आईएएस अधिकारी कैप्टन जेएम पठानिया का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छोटी-छोटी आपत्तियां लगाकर इतने बड़े विश्वविद्यालय के काम को लटकाया जा रहा है। धर्मशाला देश दुनिया के लोगों की पहली पसंद है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
आपत्तियां लगाना गलत
धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जदरांगल की भूमि पर आपत्तियां लगाना ठीक बात नहीं है। इस मामले में केंद्र सरकार व केंद्र में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे नुमाइंदों को सही ढंग से पैरवी करनी चाहिए। इससे क्षेत्र के लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं और छात्र भी परेशान हो रहे हैं। बाहरी राज्यों से भी छात्र यहां यह सोच कर आते हैं कि वह धर्मशाला में पढ़ाई करेंगे। देहरा में भाग बनना है, पर धर्मशाला के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा ही होता रहा, तो भविष्य में परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
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