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हिमाचल प्रदेश
कभी स्कूल ने दाखिला देने से किया था इंकार, अब वही दृष्टिबाधित प्रतिभा बन गई असिस्टैंट प्रोफैसर
Shantanu Roy
14 July 2023 9:33 AM GMT

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शिमला। दृष्टिबाधित होने के कारण जिस बच्ची को मंडी के एक स्कूल ने दाखिला देने से इंकार कर दिया था, वह अब काॅलेज असिस्टैंट प्रोफैसर बन कर अन्य बच्चों को ज्ञान की रोशनी बांटेगी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पीएचडी की छात्रा, राष्ट्रीय रिसर्च फैलोशिप विजेता और उमंग फाऊंडेशन की सदस्य प्रतिभा ठाकुर ने वीरवार शिमला के प्रतिष्ठित राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय (कोटशेरा) शिमला में प्रधानाचार्य डाॅ. अनुपमा गर्ग के समक्ष राजनीति विज्ञान की असिस्टैंट प्रोफैसर का कार्यभार ग्रहण किया।
मंडी जिले के ग्राम मटाक, तहसील कोटली के निवासी और पेशे से पत्रकार खेम चंद शास्त्री एवं शिक्षिका सविता कुमारी की बेटी प्रतिभा जन्म से ही दृष्टिबाधित है। उसे स्कूल में जब दाखिला देने से इंकार कर दिया गया तो वह बहुत रोई और पढ़ने की जिद ठान ली। मजबूरी में 5वीं कक्षा तक उसने घर पर ही पढ़ाई की और छठी कक्षा में एक स्कूल में दाखिला मिल गया। उसने हर परीक्षा उच्च प्रथम श्रेणी में पास करके शिक्षकों का भी दिल जीता। वर्तमान में वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में डाॅ. महेंद्र यादव के निर्देशन में पीएचडी कर रही हैं। प्रतिभा द्वारा कार्यभार ग्रहण करते समय उनके पिता खेम चंद शास्त्री और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव के अलावा उसके संबंधी हेमंत ठाकुर एवं प्रदेश विश्वविद्यालय से बॉटनी में पीएचडी की दिव्यांग छात्रा अंजना ठाकुर भी उपस्थित थीं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने प्रतिभा ठाकुर को उसकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिभा ने खुद को दृष्टिबाधित होने के कारण लाचार नहीं समझा और कड़े संघर्षों से उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज में अपना स्थान बनाया। अब वह दूसरे दिव्यांग बच्चों के लिए एक रोल मॉडल है। डाॅ. अनुपमा गर्ग ने कालेज के सभी शिक्षकों से प्रतिभा ठाकुर का परिचय करवाया और कहा कि उससे युवाओं को आगे बढऩे की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए उमंग फाऊंडेशन के प्रयासों की भी प्रशंसा की। प्रतिभा ठाकुर ने खुद को बहुमुखी प्रतिभा का धनी साबित किया है। स्कूल और कालेज स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं और काव्य पाठ में न सिर्फ उसने हिस्सा लिया बल्कि कई पुरस्कार भी जीते। वह एक संवेदनशील कवयित्री हैं और कई बार रक्तदान भी कर चुकी हैं। उसका कहना है कि वह दूसरे दिव्यांग बच्चों की हर प्रकार से मदद करना चाहती है। उसने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों, मित्रों और उमंग फाऊंडेशन को दिया। दिव्यांगों के लिए काम कर रही संस्था उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यदि दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग बच्चों को परिवार समाज और सरकार आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवा दे तो ये बच्चे कोई भी ऊंचाई छू सकते हैं।
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Shantanu Roy
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