हिमाचल प्रदेश

धार्मिक स्वतंत्रता कानून से जुड़े मामले पर हाई कोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा जवाब, जुर्माने को तैयार रहे सरकार

Renuka Sahu
11 Oct 2022 4:20 AM GMT
On the matter related to religious freedom law, the High Court sought response in three weeks, the government should be ready to fine
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न्यूज़ क्रेडिट : divyahimachal.com

प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून को चुनौती देने से जुड़े मामले में सरकार को जवाब दायर करने के लिए तीन हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदेश हाई कोर्ट ने हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून को चुनौती देने से जुड़े मामले में सरकार को जवाब दायर करने के लिए तीन हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया गया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि जवाब दायर न करने की स्थिति में सरकार पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार की ओर से जवाब दायर न करने पर इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। मामले पर मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने उक्त कानून के विवादित प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हिमाचल धार्मिक स्वतंत्रता कानून अधिनियम 2019 के प्रावधानों को अदालत में चुनौती दी गई है। आरोप लगाया गया है कि इस अधिनियम के प्रावधान भारतीय संविधान के विरोधाभासी हैं। ये प्रावधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

तर्क दिया गया है कि अभी तक प्रदेश में इस अधिनियम में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन प्रदेश में धर्मांतरण संशोधन विधेयक को सदन में पारित कर दिया गया। इसमें अनुसूचित जाति और अन्य आरक्षित वर्ग के लोग अगर धर्म परिवर्तन करते हैं, तो उनको किसी तरह का आरक्षण नहीं मिलेगा। इसके अलावा अगर वे धर्म परिवर्तन की बात छिपाकर आरक्षण की सुविधाएं लेते हैं, तो ऐसे में उन्हें तीन से पांच साल तक सजा और 50 हजार से एक लाख रुपए तक का जुर्माना होगा। संशोधित कानून के मसौदे के मुताबिक किसी व्यक्ति की ओर से अन्य धर्म में विवाह करने और ऐसे विवाह के समय अपने मूल धर्म को छिपाने की स्थिति में भी तीन से दस साल तक के कारावास का प्रावधान होगा। कानून में दो लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रस्ताव है।

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