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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
किनौर जिले के भावानगर उपमंडल के निगुलसरी में आज से एक साल पहले 11 अगस्त को पल भर में ही 28 लोगों की सांसे मलबे के नीचे घुटकर हमेशा के लिए खामोश हो गई थीं। हादसा इतना भयावह था कि इसके जिक्र से लोग आज भी सिहर जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश के किनौर जिले के भावानगर उपमंडल के निगुलसरी में आज से एक साल पहले 11 अगस्त को पल भर में ही 28 लोगों की सांसे मलबे के नीचे घुटकर हमेशा के लिए खामोश हो गई थीं। हादसा इतना भयावह था कि इसके जिक्र से लोग आज भी सिहर जाते हैं। उस दिन आम दिनों की तरह मार्ग पर वाहनों की आवाजाही सुचारु रूप से चल रही थी। इसी बीच चालकों ने थोड़ी दूरी पर पहाड़ी से भूस्खलन होते हुए देखा। इसको देखते हुए वाहन थोड़ा पीछे होकर स्थिति का जायजा लेने के लिए रुक गए। इसमें एक बस, टिपर, दो जीप और एक अखबार की गाड़ी शामिल थी।
नियति देखिए अचानक पहाड़ी के ऊपर से करीब 200 मीटर हिस्सा पूरी तरह से ढह गया। इससे सड़क के किनारे खड़े वाहन मलबे में दब गए। हादसे की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमों ने बचाव कार्य शुरू किया। इसमें कड़ी मशक्कत के बाद 13 लोगों की जिंदगी बचा ली गई, जो कि अपने आप में किसी करिश्मे से कम नहीं था जबकि प्रकृति की इस निर्मम चोट से 28 लोग अकाल मौत के मुंह में समा गए। कई दिनों तक मलबे में लोगों को तलाश करने का अभियान चलता रहा। इसमें पुलिस, आपदा प्रबंधन की टीमें और एनडीआरएफ के 200 के करीब जवान शामिल थे। इन्होंने भूस्खलन संभावित क्षेत्र में अपनी जान की परवाह किए बगैर एक सप्ताह तक शवों को निकालने के लिए ऑपरेशन चलाया।
सूख गए आंखों में आंसू , दुआएं भी नहीं आई काम
निगुलसरी हादसे की सूचना मिलते ही जिला किन्नौर के लोगों में हड़कंप मच गया था। सात दिन तक बचाव अभियान के दौरान लोग घटना के स्थल के नजदीक सड़क के किनारे और नजदीकी अस्पतालों में अपनों की सलामती के लिए दुआएं मांगते रहे। इंतजार में आंखों में आंसू भी सूख गए और दुआएं भी काम नहीं आईं। जैसे-जैसे शव बरामद होते रहे लोगों की उम्मीद भी टूटती रही।
हादसे के बाद प्रशासन ने यहां पर पुलिस और गृहरक्षा विभाग के जवान तैनात किए हैं ताकि समय-समय पर यहां से गुजरने वाले यात्रियों को सावधानीपूर्वक आवाजाही करवाई जा सके। पुलिस थाना भावानगर से मिली जानकारी के अनुसार भविष्य में इस तरह से हादसों से निपटने के लिए जहां-जहां पर भूसखलन हो रहा है वहां पुलिस और होमगार्ड के जवानों को दिन रात ड्यूटी पर तैनात कर दिया है। डीएसपी भावानगर राजू ने बताया कि जहां पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है, वहां विशेष रूप से 40 जवानों को तैनात कर दिया है, जिसमें निगुलसेरी में 7 क्यूआरटी के जवान और 12 होमगार्ड के जवान अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
इसके अलावा जिले के पागलनाला के पास चार जवान, रूतरंग के पास चार जवान और बटसेरी गुंसा के पास चार जवान तैनात किए गए हैं। इन जवानों के माध्यम से लोगों को खतरे का संकेत होने पर वाहन चालकों को रोका जा रहा है ताकि किसी प्रकार के जान माल के नुकसान से बचा जा सके। भूस्खलन और पहाड़ी दरकने से बचाव को लेकर भूस्खलन के संकेत पता करने के लिए जिला प्रशासन ने निगुलसरी के दोनों ओर अर्ली वार्निंग मानीटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। यह सिस्टम पहाड़ी के खिसकने से आधा घंटा पहले ही संकेत देगा ताकि लोगों को अपने बचाव के लिए समय मिल सके।
कहां-कहां हुए किन्नौर में बड़े हादसा
निगुलसरी से पहले सांगला तहसील के बटसेरी गुन्सा नामक स्थान पर भारी भरकम चट्टानों के खिकसने से 9 पर्यटकों की मौके पर मौत हो गई थी, जबकि दो पर्यटक जख्मी हुए थे।
1. पूर्वनी गांव के निवासी अधिवक्ता सत्यजीत नेगी ने बताया कि किन्नौर जिला एक संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे क्षेत्रों में बिजली परियोजनाओं के निर्माण की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। निजी कंपनी के कारण आज किन्नौर जिले के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। भविष्य में बिजली परियोजनाओं के निर्माण पर सरकार रोक लगाती है तो जिले की कई पहाड़ियों को दरकने से बचाया जा सकता है।
2. किन्नौर जिले के रिस्पा गांव के निवासी भुवनेश्वर नेगी ने बताया कि देशहित के लिए दखल देना उचित नहीं है। सरकार को बिजली परियोजनाओं के निर्माण और अवैध खनन प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए। जिन बिजली परियोजनाओं को एनओसी दे दी है, वहां पर अंधाधुंध ब्लास्टिंग नहीं होनी चाहिए ताकि जनजातीय जिले में भयानक हादसों से बचा जा सके।
3 वन अधिकार अधिनियम समिति अध्यक्ष किन्नौर जिया लाल ने कहा कि 2007 से लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिजली परियोजना का निर्माण न हो, इसके लिए विरोध भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार किनौर जिले के सुरक्षा को लेकर हित की बात करने से पीछे हट रही है।
4. जिला परिषद सदस्य हितेश नेगी ने कहा कि किन्नौर जिले का सीना छलनी हो गया है। इतना बड़ा हादसा होने पर भी सरकार जिले के लोगों के प्रति सकारात्मक भूमिका निभाने में सफल न हीं हो पाई है। किन्नौर से 4000 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाला जिला बना और देश के विकास में अपनी भूमिका निभा रहा है, लेकिन अब भविष्य में नई बिजली परियोजना को मंजूरी
नहीं दी जानी चाहिए ताकि पर्यावरण से साथ कोई खिलवाड़ न हो।
5. पूर्व उप प्रधान कल्पा राज कुमार ने बताया कि किन्नौर की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को बिजली परियोजना को लेकर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहिए। अन्यथा यहां के लोगों की नकदी फसल, सेब, चिलगोजा, अखरोट और अन्य फसलों पर विपरीत असर पड़ सकता है।
निगुलसरी हादसे के बाद किन्नौर जिले के लोग एकजुट होकर पिछले एक साल से नई बिजली परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। किन्नौर जिले में हैवी ब्लास्टिंग और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट निर्माण को पूरी तरह से बंद करने के लिए जन आंदोलन के माध्यम से जिले की 73 पंचायतों से पूरा समर्थन मिल रहा है। जिसके तहत इन दिनों हर रोज 73 पंचायतों से एक ही आवाज सुनने को मिल रही है नो मिन्स नोए, सेव किन्नौर। जिले के विभिन्न स्थानों पर भारी भूस्खलन होने से क्षेत्र के लोगों में काफी रोष पनप रहा है। किन्नौर के अलावा जिले के लोग जो प्रदेश और देश के विभिन्न शहरों में रहे रहे है वहां से भी लोग इस अभियान को लेकर एकजुट हो गए हैं।
उन लोगों का कहना है कि जिले में आने वाले समय में किसी प्रकार बिजली परियोजना का निर्माण नहीं होने देंगे जिसके लिए उन्हें चाहे अपनी जान क्यों न देनी पड़े। इस अभियान को चलाने के लिए कई समूह गठित किए हैं, जिनमें सभी समूह कोई सोशल मीडिया के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने में जुट गया है तो अन्य समूहों की ओर से किन्नौर जिले की 73 पंचायतों में जाकर उनके सहयोग के माध्यम से प्रस्ताव पास किया जा रहा है ताकि किसी प्रकार किन्नौर जिले में परियोजना का निर्माण न हो सके। इस अभियान में भी कई पंचायतों ने प्रस्ताव पास किया है कि आने वाले समय पर किसी प्रकार के हाइड्रो परियोजनाओं का निर्माण नहीं किया जाएगा।
-बीते वर्ष निगुलसरी में पेश आए दर्दनाक हादसे के सभी मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया गया है। इसके अलावा जिला प्रशासन की ओर से लोगों की सुरक्षा को लेकर उक्त स्थान पर कंकरीट वाल और रॉक फॉल रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन ने मौके पर अर्ली वार्निंग मानीटरिंग सिस्टम भी स्थापित किया गया है।