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अब नई तकनीक के साथ भूस्खलन के खतरे को भांपेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम

मंडी। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं द्वारा बनाया गया भूस्खलन अलर्ट यूनिट अर्ली वार्निंग सिस्टम अब नई तकनीक के साथ भूस्खलन के खतरे को भांपेगा। शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को अप्रगेड करके पहले से अधिक मजबूती प्रदान की है। नए सिस्टम में भूस्खलन पूर्व चेतावनी के 2 मुख्य पहलुओं को अधिक मजबूत बनाया गया है। एक उपग्रह आधारित विश्लेषण (आईएनएसएआर) शुरू करना है जो उपग्रह से जमीन पर लगे सिस्टम को सबसिडैंस के परिणामस्वरूप जो क्षेत्रीय और स्थानीय भूस्खलन होते हैं उनके बारे में परिणामों की पुष्टि करेगा। दूसरा मुख्य रूप से मूवमैंट आधारित चेतावनी सिस्टम को क्षेत्रीय थ्रैसहोल्डिंग में अपग्रेड किया गया है, जो बारिश का पता लगाने और पूर्वानुमान के आधार पर मुमकिन होता है। साइट पर थ्रैसहोल्ड से ज्यादा मूवमैंट होते ही सैंसर अलर्ट करता है। तीव्रता के आधार पर और सिस्टम से मूवमैंट के अलर्ट की फ्रीक्वैंसी के अनुसार अलर्ट का निम्न, मध्यम और उच्च वर्गीकरण किया जाता है। यह भूस्खलन की संभावना का संकेत देते हैं। बारिश के आधार पर क्षेत्रीय अलर्ट और मूवमैंट के आधार पर स्थानीय अलर्ट को जोड़कर देखने से फाल्स अलार्म में कमी आती है और निगरानी और चेतावनी व्यवस्था अधिक स्टीक काम करती है।
